आज जैसे ही कुएं की ओर मस्ती में चल रहे थे तो देखता हूं कि बगल के खेत में कुछ हलचल सी हो रही है..ऐसा लगा कि कोई है..गौर से देखा तो लगा नहीं कुछ नहीं भ्रम है..या मन में कुछ न कुछ डर बना हुआ है इसलिए धोखा सा हो रहा है..सोचता हुआ आगे बढ़ ही रहा था कि तभी फिर हरे-भरे पौधों के बीच कुछ रेंगता हुआ सा दिखाई दिया...दोबारा से नजर दौड़ाई तो फिर कुछ नहीं...मन में घबराहट सी होने लगी है कि क्या हैं जो साथ-साथ खेत में आगे बढ़ रहा है..अब मैं चल तो आगे की ओर रहा था लेकिन गर्दन तिरछी कर आंखें बगल के खेत की ओर जमाए हुआ था..थोड़ी देर में फिर हलचल सी हुई..और देख ही लिया कि वो सांप है..कुछ..कुछ लगा कि हो न हो..ये सांप देखा सा हुआ है..फिर सोचा कि सांप तो एक जैसे ही लगते हैं..कौन से मैंने पाल रखे हैं कि उनकी नस-नस पता हो...चलते-चलते खेत पर नजर गड़ाए..कुएं तक पहुंच गए..कुएं के पास अपने अडडे यानि बड़े से पत्थर पर कपड़े..साबुन..कंघी वगैरह रखकर मस्ती का आलम शुरू हुआ..कभी पानी में पत्थर फेंकू..कभी किसी पेड़ पर बैठी चिड़िया को उड़ाऊं...
तभी देखता हूं कि मेरे ठीक सामने एक सांप पत्थर के ऊपर अपना मुंह निकाल रहा है..कभी ऊपर उठता..कभी नीचे...धीरे-धीरे में उस पत्थर की ओर बढ़ा..देखा कुछ नहीं..पत्थर के नीचे झांका तो सांप दूर जाता सा हुआ दिखा....उसके पीछे-पीछे चलता गया..और मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कहां तक पहुंच गया..देखता हूं..उसी समाधि के पीछे मैं खड़ा हूं..सांप जो अभी तक मेरे आगे आगे भाग रहा था कि वो गायब है...थोड़ी ही देर में पलक झपकाई तो वही लड़की फिर खड़ी है..अब मुझे कुछ कुछ आभास हो गया था कि यूं ही सारी चीजें नहीं हो रही है..कुछ तो दम है इस लड़की में..भूतों के बारे में दादी ने बहुत सी कहानियां सुनाई थी लेकिन ऐसा भूत तो उन्होंने कभी नहीं बताया कि एक नन्ही सी लड़की..परी जैसी..मुस्काराती हुई..इतनी मासूमियत भूत में कहां हो सकती है...ख्याल में डूबा हुआ था कि लड़की ने मेरा हाथ पकड़ा... थोड़ी और दूर तक ले गई..वहां कोई नहीं..दूर-दूर तक कुछ भी नजर नहीं आ रहा...झाड़ियां..बीच-बीच में पेड़..नीचे ऊबड़-खाबड़ पत्थर पड़े हुए..जैसे किसी जंगल में पहुंच गए हों....
तभी देखता हूं कि वही सांप मुझे फिर दूर से नजर आ रहा था..मैं पहले सोच रहा था कि कहीं ये ही लड़की तो सांप नहीं बनी हुई थी..लेकिन अब मेरी राय फिर बदल रही थी कि वैसा ही सांप मैं फिर से देख रहा था.जबकि लड़की मेरे साथ थी....अब मैं कभी उस सांप को देखूं..कभी उस लड़की को...मैं फिलहाल इस सांप के चक्कर में फंसा हुआ था...लड़की मुस्कराई..बोली..दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालो..दिमाग फट जाएगा..वो सांप कौन है..बाद में बताऊंगी..उससे डरो मत..वो तुम्हारा बुरा नहीं करेगा..वो यहीं आसपास रहेगा..
मैंने उससे पूछा कि तुम मेरी पत्नी कैसे हो सकती हो..बोली..मैं ही तुम्हारी पत्नी हुं..सारा किस्सा सुनाऊंगी..तो तुम समझ जाओगे..नहीं समझोगे..तो मय सबूत के समझा दूंगी..साथ में बोली कि मैं अब तुम्हें छोड़ने वाली नहीं..अगर तुमने मेरा साथ छोड़ा..तो ठीक नहीं होगा..मैं तुम्हारा पीछा करती रहूंगी..तुम मुझसे डरो मत..बल्कि मैं तुम्हारे काम ही आऊंगी..और मुझे तुम्हारा साथ चाहिए....उसने कहा कि वायदा करना..कि ये किसी से कहना मत.फिर.हंसने लगी बोली कि पहले तो कोई भरोसा ही नहीं करेगा..हां ये बात हो सकती है..कि तुम्हें परेशान देखकर तुम्हें यहां से जाने को कह दिया जाए..इसलिए चुपचाप रहोगे तो मैं भी खुश..तुम भी खुश..बहुत मजा आएगा..बड़ी ही समझाने वाली बातें....मैंने कहा कि तुम अकेली हो..बोली नहीं..मेरी भी दुनिया है..मेरी भी बस्ती भी है..मेरा परिवार यानि आपकी ससुराल भी है..लेकिन फिलहाल तुम्हें इससे कोई लेना-देना नहीं..तुम मेरी दुनिया में न झांको तो ही अच्छा है...मैं अपनी दुनिया में नहीं..तुम्हारी दुनिया में रहना चाहती हूं..मुझे अपनी दुनिया में अच्छा नहीं लगता..हां तुम मुझे शायद उस दुनिया में निकालने से मदद करो..अब वो मेरे से खुलती जा रही थी...थोड़ा-थोड़ा बताने लगी थी..लेकिन पूरी नहीं खुल रही थी...
ये सब चल ही रहा था कि देखता हूं..अचानक लड़की से हाथ छूटा और गायब....पीछे से देखता हूं कि पिता चिल्ला रहे हैं..तुम भी कहां कहां चले जाते हो..बेटा..मैंने यहां आने से मना किया है कि फिर भी तुम आ गए..वो भी अकेले..यहां खड़े क्या कर रहे थे..मुझे सबसे ज्यादा डर पिताजी से ही लगता था..आज भी उन्हीं से लगता है..जैसे ही कड़क आवाज उनकी गूंजी..मैं तेज कदमों से कुएं की तरफ भागने लगा..डर ये लग रहा था कि थप्पड़ न खा जाऊं.....
कुएं पर आया..नहाने के बाद जैसे ही चलने को हुआ..देखता हूं कि सामने के पेड़ पर बैठी लड़की हाथ हिला रही है..मुस्करा रही है..मानो कह रही है कि फिलहाल विदा लेते हैं...और कह रही है कि डरना मना है...कल ये लड़की मुझे किस दुनिया में ले जाएगी..क्या कुछ बताएगी..क्या लड़की सही कह रही है..या फिर मुझे कोई गुमराह करने के लिए ऐसा कर रहा है...कल खुलासा होगा...कल का इंतजार करिए.....
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तभी देखता हूं कि मेरे ठीक सामने एक सांप पत्थर के ऊपर अपना मुंह निकाल रहा है..कभी ऊपर उठता..कभी नीचे...धीरे-धीरे में उस पत्थर की ओर बढ़ा..देखा कुछ नहीं..पत्थर के नीचे झांका तो सांप दूर जाता सा हुआ दिखा....उसके पीछे-पीछे चलता गया..और मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कहां तक पहुंच गया..देखता हूं..उसी समाधि के पीछे मैं खड़ा हूं..सांप जो अभी तक मेरे आगे आगे भाग रहा था कि वो गायब है...थोड़ी ही देर में पलक झपकाई तो वही लड़की फिर खड़ी है..अब मुझे कुछ कुछ आभास हो गया था कि यूं ही सारी चीजें नहीं हो रही है..कुछ तो दम है इस लड़की में..भूतों के बारे में दादी ने बहुत सी कहानियां सुनाई थी लेकिन ऐसा भूत तो उन्होंने कभी नहीं बताया कि एक नन्ही सी लड़की..परी जैसी..मुस्काराती हुई..इतनी मासूमियत भूत में कहां हो सकती है...ख्याल में डूबा हुआ था कि लड़की ने मेरा हाथ पकड़ा... थोड़ी और दूर तक ले गई..वहां कोई नहीं..दूर-दूर तक कुछ भी नजर नहीं आ रहा...झाड़ियां..बीच-बीच में पेड़..नीचे ऊबड़-खाबड़ पत्थर पड़े हुए..जैसे किसी जंगल में पहुंच गए हों....
तभी देखता हूं कि वही सांप मुझे फिर दूर से नजर आ रहा था..मैं पहले सोच रहा था कि कहीं ये ही लड़की तो सांप नहीं बनी हुई थी..लेकिन अब मेरी राय फिर बदल रही थी कि वैसा ही सांप मैं फिर से देख रहा था.जबकि लड़की मेरे साथ थी....अब मैं कभी उस सांप को देखूं..कभी उस लड़की को...मैं फिलहाल इस सांप के चक्कर में फंसा हुआ था...लड़की मुस्कराई..बोली..दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालो..दिमाग फट जाएगा..वो सांप कौन है..बाद में बताऊंगी..उससे डरो मत..वो तुम्हारा बुरा नहीं करेगा..वो यहीं आसपास रहेगा..
मैंने उससे पूछा कि तुम मेरी पत्नी कैसे हो सकती हो..बोली..मैं ही तुम्हारी पत्नी हुं..सारा किस्सा सुनाऊंगी..तो तुम समझ जाओगे..नहीं समझोगे..तो मय सबूत के समझा दूंगी..साथ में बोली कि मैं अब तुम्हें छोड़ने वाली नहीं..अगर तुमने मेरा साथ छोड़ा..तो ठीक नहीं होगा..मैं तुम्हारा पीछा करती रहूंगी..तुम मुझसे डरो मत..बल्कि मैं तुम्हारे काम ही आऊंगी..और मुझे तुम्हारा साथ चाहिए....उसने कहा कि वायदा करना..कि ये किसी से कहना मत.फिर.हंसने लगी बोली कि पहले तो कोई भरोसा ही नहीं करेगा..हां ये बात हो सकती है..कि तुम्हें परेशान देखकर तुम्हें यहां से जाने को कह दिया जाए..इसलिए चुपचाप रहोगे तो मैं भी खुश..तुम भी खुश..बहुत मजा आएगा..बड़ी ही समझाने वाली बातें....मैंने कहा कि तुम अकेली हो..बोली नहीं..मेरी भी दुनिया है..मेरी भी बस्ती भी है..मेरा परिवार यानि आपकी ससुराल भी है..लेकिन फिलहाल तुम्हें इससे कोई लेना-देना नहीं..तुम मेरी दुनिया में न झांको तो ही अच्छा है...मैं अपनी दुनिया में नहीं..तुम्हारी दुनिया में रहना चाहती हूं..मुझे अपनी दुनिया में अच्छा नहीं लगता..हां तुम मुझे शायद उस दुनिया में निकालने से मदद करो..अब वो मेरे से खुलती जा रही थी...थोड़ा-थोड़ा बताने लगी थी..लेकिन पूरी नहीं खुल रही थी...
ये सब चल ही रहा था कि देखता हूं..अचानक लड़की से हाथ छूटा और गायब....पीछे से देखता हूं कि पिता चिल्ला रहे हैं..तुम भी कहां कहां चले जाते हो..बेटा..मैंने यहां आने से मना किया है कि फिर भी तुम आ गए..वो भी अकेले..यहां खड़े क्या कर रहे थे..मुझे सबसे ज्यादा डर पिताजी से ही लगता था..आज भी उन्हीं से लगता है..जैसे ही कड़क आवाज उनकी गूंजी..मैं तेज कदमों से कुएं की तरफ भागने लगा..डर ये लग रहा था कि थप्पड़ न खा जाऊं.....
कुएं पर आया..नहाने के बाद जैसे ही चलने को हुआ..देखता हूं कि सामने के पेड़ पर बैठी लड़की हाथ हिला रही है..मुस्करा रही है..मानो कह रही है कि फिलहाल विदा लेते हैं...और कह रही है कि डरना मना है...कल ये लड़की मुझे किस दुनिया में ले जाएगी..क्या कुछ बताएगी..क्या लड़की सही कह रही है..या फिर मुझे कोई गुमराह करने के लिए ऐसा कर रहा है...कल खुलासा होगा...कल का इंतजार करिए.....
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