Saturday, March 28, 2015

भूत की कहानी का 20 वां दिन (लड़की के कितने रूप?)

नौकर की लड़की अपना काम कर रही थी..पूछने पर अनजान बन रही थी..लेकिन मैं देख रहा था कि उसका रूप बार-बार बदल रहा है..कभी वो मेरी पत्नी का रूप धारण कर रही है..और मुस्करा रही है और कभी वो सामान्य युवती जैसी काम कर रही है...थोड़ी देर बाद उसने मुझे इशारा किया और पास में बुलाया..बोलने लगी..आज स्कूल कैसा रहा..मैने कहा..तुम भी तो साथ थी..तो हंसने लगी..बोली..मैं तो आज तक स्कूल ही नहीं गई..मैं पढ़ी-लिखी ही नहीं हूं..आप मुझे पढ़ाएंगे..मैंने हां में हां मिलाई तो आंगन में आकर बैठ गई..मेरी दादी से बोली..भैया से में पढ़ना सीख रही हूं..दादी ने मुस्करा कर इजाजत दे दी..दादी अपने काम में लग गईं..जैसे ही मैंने स्लेट और सफेद पेंसिल निकाली..और एक दो तीन गिनती लिखनी शुरू की..बगल में बैठी युवती पर नजर गई तो देखा कि उसका रूप फिर बदल गया है..अब वो वही लड़की है छोटी सी..बोली..घबराओ मत..मैं ही बार-बार उस युवती के शरीर में दाखिल हो रही हूं..ताकि दादी की समझ में न आए..इसके बाद बोली..चलो चलते हैं खेत की ओर..दादी से बोलकर हम दोनों खेत की ओर रवाना हुए..लड़की सरपट भागने लगी..और बोली..मुझे पकड़ कर दिखाओ...जैसे ही मैने उसे पकड़ने की कोशिश की..हाथ से हाथ पकड़ा..तो घबरा गया..हाथ में छोटा सा सांप था..लड़की गायब..इधर उधर देखा तो लड़की एक पेड़ की डाली पर बैठी मुस्करा रही है..सांप को दूर फेंका...समझ में नहीं आया कि सपना देख रहा हूं या हकीकत है।


मैं जैसे ही उस पेड़ पर चढ़ने को हुआ..लड़की ऊपर से गायब..अब वो दूसरे पेड़ पर नजर आ रही थी...एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर अचानक पहुंचते ताज्जुब हो रहा था...तभी मैं गुस्सा हुआ..और कुएं की ओर जाने लगा तो लड़की पेड़ से नीचे उतरी..जैसे ही पीछे देखा तो एक गाय मेरे पीछे-पीछे चली आ रही है..बिलकुल सफेद गाय..इतनी सुंदर गाय कभी नहीं देखी थी..देखा गाय मेरी ओर तेजी से भाग रही है..मैंने भी घबराहट में दौड़ लगाई..जैसे ही भागकर कुएं के पास पहुंचा तो देखा गाय गायब हो चुकी है और लड़की भी नजर नहीं आ रही है। चारों तरफ नजर दौड़ाई..लेकिन कहीं नहीं..तभी पीछे से किसी ने कंधे पर हाथ रखा..तो डर के मारे कांप गया..पीछे देखा तो लड़की खड़ी है..बोली..कहां देख रहे हो..मैंने पूछा कि कहां गायब हो गई थी..बोली..आपके पीछे-पीछे ही आ रही थी..मैने कहा कि वो तो गाय थी..बोली..गाय कहां थी..मैं ही आपको दौड़ा रही थी...ये तो आपको लग रहा था कि वो गाय थी...

उसकी शरारत कभी अच्छी लग रही थी..कभी मन को घबरा रही थी...पास में बैठकर बोली..बहुत भागदौड़ हो गई..अमरूद खाओगे..थोड़ी ही दूर पर पेड़ नजर आ रहा था..डालियों पर अमरूद लदे हुए थे..मैंने कहा कि चलो चलते हैं पेड़ पर ...बोली नहीं..अमरूद तो यही आ जाएगा..इतना कह कर उसने अपना दायां हाथ सामने फैलाया..धीरे-धीरे कर उसकी लंबाई बढ़ने लगी..देखता हूं..हाथ तना जा रहा है..ऊपर की ओर खिंच रहा है..जैसे कोई डंडा या जादू की छड़ी अपने आप लंबी होती जाती है..हाथ पेड़ तक जा पहुंचा..मैं अमरूद भूल गया था..हाथ को नीचे से ऊपर तक और ऊपर से नीचे तक टकटकी लगाए देख रहा है...करीब 20 फीट लंबा हाथ...पेड़ से अमरूद तोड़कर हाथ धीरे-धीरे छोटा होने लगा..जैसे किसी म्यान में तलवार वापस जाती है..वैसे ही हाथ उसके भीतर समाता गया..और नार्मल हो गया। हाथ से उसने अमरूद दिया और बोली..खाओ..कुछ मत सोचो..ये हमारी दुनिया है.हम कोई करिश्मा नहीं कर रहे हैं..ये सब सामान्य है..भूतों की दुनिया में अजब-गजब होता रहता है..हमारा इसके बिना काम नहीं चलता..मैने पूछा ये सब कैसे करते हो..बोली..हमारे पर असामान्य ताकत है हम चाहे तो पूरा पेड़ ही खींच कर ले आए..हाथ की लंबाई कितनी ही कर लें..मैं तुम्हें भूतों की दुनिया में नहीं ले जाना चाहती..मेरा तो मकसद है कि मुझे ही इससे छुटकारा मिल जाए.....इस तिलस्मी दुनिया से मैं बोर हो चुकी हूं....इतना कह कर उदास हो गई...मैं उससे और बातें करना चाह रहा था कि वो बोली अब मैं चलती हूं..मुझे भूतों की बस्ती में जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है..नहीं तो मेरे पर शक पैदा हो जाएगा..देखा कि लड़की चिड़िया में बदली..और उड़ती हुई कहीं आसमान में विलीन हो गई....अब मेरी दिलचस्पी उस लड़की में बढ़ती जा रही थी..खास कर उसकी तिलस्मी दुनिया में..आखिर भूत होते कैसे हैं..इतनी ताकत उनके पास कहां से आती है..क्या वाकई भूतों की बस्ती भी होती है..कैसे होती है ये भूतों की बस्ती..कैसे वहां भूत रहते हैं..ये सब सोचता हुआ हवेली लौट आया...कल मुझे लड़की कहां ले जाएगी..क्या और रहस्य बताएगी..कल का इंतजार करिए.....ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com