Friday, August 7, 2015

भूत की कहानी का 42 वां दिन( भूतनी के नाखून गर्दन कस रहे थे)

नन्ही भूतनी के बारे में बुजुर्ग भूतनी सुनाती जा रही थी और मैं सांस थामे एकटक सुनता जा रहा था..उस बच्ची के परिवार में कुल सातलोग थे..वो सबसे छोटी..उसके दो भाई, माता-पिता और दादा-दादी...सबके सब ट्रेन हादसे में मारे गए...जब एक और भूतनी अपने परिवार और इस बच्ची के परिवार को तलाशती हुई किले में पहुंची..तो कई दिनों तक इस बच्ची का बुरा हाल..कभी किसी को काटने को दौड़ती तो कभी चिल्ला-चिल्ला कर कोहराम मचा देती..कभी गांव के एक परिवार के घर..दो भूत उसे लेने के लिए पहुंचे..लेकिन आने को तैयार नहीं...तब बमुश्किल उसे ये कहकर लाया गया कि उसके परिवार के सारे लोग मिल गए हैं और किले में ही हैं..लेकिन ये सच नहीं था..वो किले में आ तो गई..लेकिन रहने को तैयार नहीं...

हैरान-परेशान भूतों के सरदार ने सारे भूतों की सभा बुलाई..और मंच पर उस नन्ही भूतनी को उसी चमत्कारी डंडे से उस लड़की के रूप में पेश किया..जैसी की वो इंसान के रूप में थी..उस नन्हीं का रूप बदला ही था कि एक महिला भूतनी चिल्लाई..अरे ये तो मेरी ही बेटी ही है...देखते ही देखते उसका पूरा परिवार दौड़ता हुआ..मंच पर आया...और उसे बाहों में जकड़ लिया..सारे भूतों ने सुकून की सांस ली..पूरा का पूरा परिवार यहीं मौजूद था..इसे संयोग ही कहेंगे कि ये परिवार भी इस बच्ची को तलाशता हुआ भूतिया किला पहुंचा था..इसके बाद तो उस लड़की की खुशी का ठिकाना नहीं था..पूरा परिवार भूत बन चुका था लेकिन साथ था...भूतों का ये परिवार इस लड़की के साथ यहीं रह रहा है...
चलो इस लड़की का तो परिवार मिल गया लेकिन उस महिला भूतनी का मिला या नहीं..जो उसे लेकर आई थी...तो पता चला कि नहीं..उसके परिवार की तलाश जारी है..वो लड़की उस भूतनी के पास हाथ पकड़कर ले गई..एक कोने में काले कपड़ों में सफेद बाल...मुझे देखते ही...उसने मुंह से अजीब सी आवाज निकालनी शुरू की और एक हाथ आगे बढ़ाया..हाथ लगातार लंबा होता जा रहा था..मुझे लगा कि मेरी गर्दन को कस लेगा..उसमें से नाखून भी लंबे होते जा रहे थे और नाखून इतने नुकीले कि चाकू भी न हो..अगर चुभ जाए तो आरपार हो जाए...तभी उस लड़की ने अपना हाथ बढ़ाया और नाखूनों को जैसे ही छुआ...हाथ धीरे-धीरे पीछे होकर छोटा होने लगा...और देखते ही देखते हाथ सामान्य ही नहीं हुआ..उसमें फूल आ गए...आंखों से ही उस लड़की ने भूतनी को समझाया..तो फिर उसने वो फूल मेरी तरफ बढ़ा दिए..

महिला भूतनी को ये सुकून तो था कि इस लड़की का परिवार मिल गया लेकिन वो अपने पति को लेकर बेचैन थी..क्या उस महिला का पति मिलेगा..जरूरी नहीं वो भूत ही बना हो..उस महिला भूतनी से मेरी सहानुभूति हो चुकी थी..उससे वादा किया कि मैं उसकी पूरी मदद करूंगा..इससे उसके चेहरे पर प्रसन्नता झलक आई...क्या मैं उसकी मदद कर पाऊंगा..क्या पता चलेगा उसके पति का...कल तक इंतजार करिए........
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