इस महिला भूत को क्यों कैद में रखा गया है? ये सवाल मेरे मन में बराबर कौंध रहा था..उतावलापन बढ़ता जा रहा था..उसकी जो कहानी सुनी तो सुनकर हैरान रह गया। दरअसल ये भूतनी दूसरे भूतों को तंग कर रही थी..जब से आई थी..तबसे ही इसका महिला भूतों से कम लगाव था..पुरुष भूतों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती थी..और जब भूत उसका साथ नहीं देते..तो उन्हें परेशान करने लगती..कई भूतों को उसने गलत तरीके से फंसा दिया और उन्हें सजा भी भुगतनी पड़ी। एक बार इसने भूतों के सरदार को ही नहीं बख्शा..तब जाकर सरदार को समझ आया कि ये वाकई ठीक नहीं।
इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है..मुंबई में थी..किसी बड़े आदमी के साथ...थोड़ी सी उम्र हुई नहीं कि उसके पर निकल आए...स्वच्छंद हवा में सांस लेना..ग्लैमर..चकाचौंध..खुद को सजाना..संवारना..बस जैसे-जैसे बड़ी होती गई..ख्वाब भी बड़े होते गए...बड़े लोगों का साथ..उनके पैसों के बल पर ऐशो-आराम करना..अपनी पहचान बनाना...करते-करते मुंबई की बड़ी शख्सियत को पकड़ लिया..और उसके साथ रहने लगी..लेकिन कहते हैं कि उम्र बढ़ जाए..वक्त बदल जाए..लेकिन फितरत नहीं बदलती..उस शख्स को भी नहीं छोड़ा...उसकी गैर मौजूदगी में गुल खिलाना..उसके पैसे बर्बाद करना....कई सालों के संदेह के बाद एक बार घर में ही उसके पति ने जो नजारा देखा..माथा ठनक गया..और फिर वही हुआ...इस महिला को उसके पति ने मरवा दिया।
मरने के बाद ये भूतिया किले पहुंची तो वहां भी उसने चैन नहीं लिया..और यही फितरत फिर शुरू हो गई...नौजवान भूतों को एक-एक कर परेशान करना शुरू कर दिया..जो भूत अपने परिवार के साथ थे..उनमें कलह मचने लगी...इस महिला भूत की चालबाजी से बचना मुश्किल था..एक-एक कर कई लोग फंसते गए..और भूतिया किले के सरदार के निशाने पर आते गए..लेकिन ये महिला भूत हर बार बच गई..
फिर भी उसे चैन नहीं आया और आखिरकार उसने भूतिया किले के सरदार को निशाना बनाने की कोशिश की...सरदार समझ गया कि ये भूत पूरा माहौल बिगाड़ चुकी है...उसके बाद उस महिला भूत को मय सबूत के साथ सबके सामने सजा सुनाई गई..तब से ये कैद में है लेकिन अब भी उसकी फितरत नहीं गई है..और जो जेल रक्षक हैं..उन्हें भी परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ती..लालच देती है..इसके लिए भूतों के सरदार ने खास सावधानी बरती है..ऐसे जेल रक्षक छोड़े हैं जिन पर पूरा भरोसा है। नहीं तो कभी भी ये भूतनी गायब हो सकती है और कोई भी गुल खिला सकती है।
भूतों की जेल के अजब-गजब कारनामे सुनकर मन अजीब सा हो गया था..इधर किले में तांत्रिक की मौत के बाद जश्न की तैयारी हो रही थी...मुझे भी रुकने के लिए कहा गया..लेकिन रुकना संभव नहीं था..दादी के पास हवेली जाना जरूरी था..नहीं तो मेरी तलाश गांव में शुरू हो जाती..दादी के पास पहुंचा..रात ढलने लगी..नींद नहीं आ रही थी..भूतिया किले का एक-एक मंजर आंखों के सामने झूम रहा था..दादी समझ गई..बोली..बेटा नींद नहीं आ रही हो एक कहानी सुनाऊं..कौन सी सुनोगे..मेरे मुंह से निकला..भूत की...दादी ने भूत की कहानी शुरू की..और लगा कि भूतों के बीच रहकर भी ऐसी कहानी न तो मैंने देखी न सुनी..ऐसा क्या था..दादी की भूत की कहानी कि मेरे होश उड़ गए...कल का इंतजार करिए.....
इन्हें भी जरूर पढ़िए..for life-.amitabhshri.blogpot.com for fun- whatsappup.blogspot.com
इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है..मुंबई में थी..किसी बड़े आदमी के साथ...थोड़ी सी उम्र हुई नहीं कि उसके पर निकल आए...स्वच्छंद हवा में सांस लेना..ग्लैमर..चकाचौंध..खुद को सजाना..संवारना..बस जैसे-जैसे बड़ी होती गई..ख्वाब भी बड़े होते गए...बड़े लोगों का साथ..उनके पैसों के बल पर ऐशो-आराम करना..अपनी पहचान बनाना...करते-करते मुंबई की बड़ी शख्सियत को पकड़ लिया..और उसके साथ रहने लगी..लेकिन कहते हैं कि उम्र बढ़ जाए..वक्त बदल जाए..लेकिन फितरत नहीं बदलती..उस शख्स को भी नहीं छोड़ा...उसकी गैर मौजूदगी में गुल खिलाना..उसके पैसे बर्बाद करना....कई सालों के संदेह के बाद एक बार घर में ही उसके पति ने जो नजारा देखा..माथा ठनक गया..और फिर वही हुआ...इस महिला को उसके पति ने मरवा दिया।
मरने के बाद ये भूतिया किले पहुंची तो वहां भी उसने चैन नहीं लिया..और यही फितरत फिर शुरू हो गई...नौजवान भूतों को एक-एक कर परेशान करना शुरू कर दिया..जो भूत अपने परिवार के साथ थे..उनमें कलह मचने लगी...इस महिला भूत की चालबाजी से बचना मुश्किल था..एक-एक कर कई लोग फंसते गए..और भूतिया किले के सरदार के निशाने पर आते गए..लेकिन ये महिला भूत हर बार बच गई..
फिर भी उसे चैन नहीं आया और आखिरकार उसने भूतिया किले के सरदार को निशाना बनाने की कोशिश की...सरदार समझ गया कि ये भूत पूरा माहौल बिगाड़ चुकी है...उसके बाद उस महिला भूत को मय सबूत के साथ सबके सामने सजा सुनाई गई..तब से ये कैद में है लेकिन अब भी उसकी फितरत नहीं गई है..और जो जेल रक्षक हैं..उन्हें भी परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ती..लालच देती है..इसके लिए भूतों के सरदार ने खास सावधानी बरती है..ऐसे जेल रक्षक छोड़े हैं जिन पर पूरा भरोसा है। नहीं तो कभी भी ये भूतनी गायब हो सकती है और कोई भी गुल खिला सकती है।
भूतों की जेल के अजब-गजब कारनामे सुनकर मन अजीब सा हो गया था..इधर किले में तांत्रिक की मौत के बाद जश्न की तैयारी हो रही थी...मुझे भी रुकने के लिए कहा गया..लेकिन रुकना संभव नहीं था..दादी के पास हवेली जाना जरूरी था..नहीं तो मेरी तलाश गांव में शुरू हो जाती..दादी के पास पहुंचा..रात ढलने लगी..नींद नहीं आ रही थी..भूतिया किले का एक-एक मंजर आंखों के सामने झूम रहा था..दादी समझ गई..बोली..बेटा नींद नहीं आ रही हो एक कहानी सुनाऊं..कौन सी सुनोगे..मेरे मुंह से निकला..भूत की...दादी ने भूत की कहानी शुरू की..और लगा कि भूतों के बीच रहकर भी ऐसी कहानी न तो मैंने देखी न सुनी..ऐसा क्या था..दादी की भूत की कहानी कि मेरे होश उड़ गए...कल का इंतजार करिए.....
इन्हें भी जरूर पढ़िए..for life-.amitabhshri.blogpot.com for fun- whatsappup.blogspot.com