दादी की पहली कहानी ने भूतों में दिलचस्पी बढ़ा दी..डर के साथ मनोरंजन हो रहा था और डर के मारे मैं सो भी जाता था। अगली रात होते ही फिर दादी जी से आग्रह करने लगा कि आज फिर वो बढ़िया भूत की कहानी सुनाए..दादी ने डांट लगाई कि रोज-रोज भूतों की कहानी नहीं सुनते..लेकिन मैं भी कहां मानने वाला था..गुस्सा हो गया और चुपचाप लेट कर रूठने का बहाना करने लगा..और वही हुआ जो मैं सोच रहा था..दादी ने मुझे मनाया और सिर पर हाथ फेरते हुए बोली..आज एक और कहानी सुनाती हूं जो बिलकुल सच्ची है और उनकी आंखों देखी है।
मैं दादी की ओर एकटक देख रहा था और दादी ने कहानी शुरू की..बेटा कोई माने या न माने..मैं तो मानती हूं कि भूत होते हैं क्योंकि कई बार मेरा उनसे पाला पड़ा है। जबसे इस हवेली में आए हैं..50 साल से ज्यादा गुजर गए..और तमाम हादसों..घटनाओं का भंडार है। एक बार की बात है करीब 25 साल पहले..जब एक रात हम और दादा जी रात को सो रहे थे...रात गहरा चुकी थी..हम भी गहरी नींद में थे..तभी अचानक बिल्ली की आवाज सुनाई दी। अब तुम कहोगे कि बिल्ली की आवाज में कौन सी नई बात है। दादी बोलती जा रही थीं और मैं एकटक सुनता जा रहा था।
यूं तो कभी बिल्ली की आवाज हवेली में सुनाई नहीं देती थी..लेकिन अचानक आधी रात के बाद बिल्ली की आवाज सुनने से हमारी नींद जरूर उचट गई। पहले लगा कि कोई सपना देख रहे थे लेकिन जब थोड़ी देर बाद फिर म्याऊं-म्याऊं की आवाज आने लगी तो गुस्सा आने लगा कि ये बिल्ली भी कहां से आ गई..लेकिन दिक्कत ये थी कि रात में इतनी बड़ी हवेली में बिल्ली को ढूढना भी कम मुश्किल नहीं था। उस रात बिल्ली ने नाक में दम कर दिया। थोड़ी-थोड़ी देर में ये बिल्ली आवाज ही नहीं दे रही थी..उसकी आवाज में डरावनी ध्वनि थी। कभी-कभी ऐसा लगा कि ये रो रही है...लंबी सी आवाज से नींद उड़ चुकी थी। काफी देर तक जब आवाज नहीं थमी..तो पानी पीने के लिए पास में ही रखे घड़े के पास गए..लेकिन जैसे ही घड़े के पास पहुंचे..सांसें ही थम गई। ऐसा लगा कि वो बिल्ली उसी घड़े में मुंह डालकर पानी पी रही है। अब तो डर के मारे में और बुरा हाल हो गया। पास के ही कमरे में रखे दूसरे घड़े के पास गए तो देखा कि उस घड़े के ऊपर रखा ढक्कन नीचे टूटा-फूटा पड़ा है..लगा कि उसे नीचे गिरा दिया गया जिससे वो टूट गया। ये बिल्ली इस कमरे में कहां से आई..और एक-एक कर घड़ों से पानी क्यों पी रही है...रात जैसे-तैसे कटी..लेकिन सुबह से अपने काम में लग गए..लेकिन अगली रात फिर उस बिल्ली की याद आने लगी...हम रात में इंतजार कर रहे थे कि देखो आज बिल्ली आती है या नहीं...अगली रात को क्या हुआ..कल का इंतजार करिए।
मैं दादी की ओर एकटक देख रहा था और दादी ने कहानी शुरू की..बेटा कोई माने या न माने..मैं तो मानती हूं कि भूत होते हैं क्योंकि कई बार मेरा उनसे पाला पड़ा है। जबसे इस हवेली में आए हैं..50 साल से ज्यादा गुजर गए..और तमाम हादसों..घटनाओं का भंडार है। एक बार की बात है करीब 25 साल पहले..जब एक रात हम और दादा जी रात को सो रहे थे...रात गहरा चुकी थी..हम भी गहरी नींद में थे..तभी अचानक बिल्ली की आवाज सुनाई दी। अब तुम कहोगे कि बिल्ली की आवाज में कौन सी नई बात है। दादी बोलती जा रही थीं और मैं एकटक सुनता जा रहा था।
यूं तो कभी बिल्ली की आवाज हवेली में सुनाई नहीं देती थी..लेकिन अचानक आधी रात के बाद बिल्ली की आवाज सुनने से हमारी नींद जरूर उचट गई। पहले लगा कि कोई सपना देख रहे थे लेकिन जब थोड़ी देर बाद फिर म्याऊं-म्याऊं की आवाज आने लगी तो गुस्सा आने लगा कि ये बिल्ली भी कहां से आ गई..लेकिन दिक्कत ये थी कि रात में इतनी बड़ी हवेली में बिल्ली को ढूढना भी कम मुश्किल नहीं था। उस रात बिल्ली ने नाक में दम कर दिया। थोड़ी-थोड़ी देर में ये बिल्ली आवाज ही नहीं दे रही थी..उसकी आवाज में डरावनी ध्वनि थी। कभी-कभी ऐसा लगा कि ये रो रही है...लंबी सी आवाज से नींद उड़ चुकी थी। काफी देर तक जब आवाज नहीं थमी..तो पानी पीने के लिए पास में ही रखे घड़े के पास गए..लेकिन जैसे ही घड़े के पास पहुंचे..सांसें ही थम गई। ऐसा लगा कि वो बिल्ली उसी घड़े में मुंह डालकर पानी पी रही है। अब तो डर के मारे में और बुरा हाल हो गया। पास के ही कमरे में रखे दूसरे घड़े के पास गए तो देखा कि उस घड़े के ऊपर रखा ढक्कन नीचे टूटा-फूटा पड़ा है..लगा कि उसे नीचे गिरा दिया गया जिससे वो टूट गया। ये बिल्ली इस कमरे में कहां से आई..और एक-एक कर घड़ों से पानी क्यों पी रही है...रात जैसे-तैसे कटी..लेकिन सुबह से अपने काम में लग गए..लेकिन अगली रात फिर उस बिल्ली की याद आने लगी...हम रात में इंतजार कर रहे थे कि देखो आज बिल्ली आती है या नहीं...अगली रात को क्या हुआ..कल का इंतजार करिए।