Wednesday, March 18, 2015

भूत की कहानी का 16वां दिन( सांप ने क्या किया? )

सुबह से ही उलझन शुरू हो गई थी..एक तो रात की दास्तां डरा रही थी..दूसरी बात ये सता रही थी कि कल गांव छोड़कर जाना है लेकिन बिना उस लड़की के मेरा मन नहीं मान रहा था..कभी-कभी उससे डर लगता था लेकिन उसकी बातें..उसकी हरकतें..उसका रहस्य जानने की इच्छा..लग रहा था कि ये लाईफ भी दिलचस्प हो सकती है..इसमें रोमांच हैं..और वाकई ये लड़की मेरी पत्नी है तो पूरी दास्तां और उसका साथ निभाने की इच्छा..या ये कहो कि उस लड़की का असर मेरे दिलो-दिमाग पर छा चुका था।



जैसे ही चाय-नाश्ता हुआ..मैंने अपनी मां को मनाने का सिलसिला शुरू किया..बोला..मां..मैं दादी के पास रुकना चाहता हूं..यहीं पढ़ना चाहता हूं..मुझे ये जंगल..ये हवेली..ये खेत..ये पेड़-पौधे बहुत अच्छे लगते हैं..और जो असली बात थी..वो मैं छुपा गया था कि दरअसल सबसे बड़ी वजह वो लड़की थी..और आपकी तथाकथित बहू..उसका साथ..उसके बारे में जानने की इच्छा...मां ने पहले तो ना-नुकर की..फिर पिताजी को बताया..पिता जी उसी गांव में पले-बढ़े थे...हिम्मत वाले थे...और बच्चों को फ्री एंड फेयर हेंड देने में भरोसा रखते थे..मेरी खुशी की सीमा नहीं रही..जब पिता जी ने हां कर दी..और दादी को कह दिया..ये बेटा अब आपके पास रहेगा..आपकी सेवा करेगा..आप उसका ख्याल रखोगी..मैं बीच-बीच में आकर हालचाल ले लूंगा...आपको भरोसा नहीं होगा..लेकिन ये हकीकत है..ये फिल्मी कहानी नहीं..मैं उस गांव में..सूनसान हवेली में दादी के साथ रहा...और क्या-क्या घटा..क्या-क्या रहस्य खुले...बड़ी ही दिलचस्प है..दरअसल कहानी अब शुरू होने वाली है....

तो फैसला हो गया.अब मुझे गांव बानपुर में ही रहना था..दादी के पास...माता-पिता भाई बहन तैयारी में जुट गए.....कल सुबह उन्हें बस से निकलना था..और जैसे ही शाम हुई तो ऐलान हुआ..आज जल्दी खा-पीकर सोया जाए..क्योंकि कल निकलना है...इधर मां समझा रही थी..कि बेटा ठीक से रहना..दादी की बात मानना..परेशान मत करना..यहां सांप-बिच्छू..तरह-तरह के जानवर..गाय-बैल..बंदर..कीड़े-मकोड़े..जंगल का एरिया है..डकैत भी आते हैं...दादी अकेली है इसलिए उनके अनुसार ही चलना..पढ़ाई में मन लगाना...तमाम हिदायतें देते-देते..मां ने आज अपने पास ही बुला लिया..मेरी छोटी बहन..नन्ही सी..पिता जी के पास....

आज उस लड़की की याद कम..माता-पिता भाई बहनों की याद सता रही थी..मां के आंचल से दुबक कर लेट गया..लेकिन ख्यालों में वो लड़की आ जा रही थी...रात गहरा रही थी लेकिन नींद उड़ी हुई थी..तभी देखता हूं कि मेरी चादर पर गुदगुदी सी हो रही है..ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर कोई दबाव सा दे रहा है लगा कि जैसे किसी ने हल्क से शरीर पर हाथ फेरा है..चादर उठाया तो घिग्घी बंध गई..पूछ दिख रही थी..काली-काली..तपाक से बैठा तो देखा कि चारपाई के इर्द-गिर्द सांप लटक रहा है..अंधेरे में लगा कि ये सांप कहीं वही तो नहीं...जो मुझे उस लड़की के साथ दिखाई देता है...गौर से उसें रेंगते देख रहा था तभी मैंने देखा कि उसने फन मेरी ओर उठाया..और ऐसे हिलाया जैसे मुझे अपने पास बुला रहा है...और चारपाई से उतरकर फिर गेट के पास की ओर जाने लगा..मैं उसे देखते हुए..पीछा करते-करते गेट के पास पहुंचा..तो देखा कि धीरे से गेट खुला..

गेट के बाहर वही लड़की मुस्कराती हुई खड़ी है...उसने भी मुझे इशारे से बाहर बुलाया और पास के ही खेत पर ले गई..तब तक सांप का पता नहीं कि वो आसपास है...या गायब हो गया...लड़की बोली..घबराओ मत..ये वही सांप है जो आपके या मेरे इर्द-गिर्द रहता है..अब भी यहीं है....मैं तो बस इसलिए आपको यहां लेकर आई हूं कि आपका बहुत-बहुत शुक्रिया..आज आपने मेरी बात मान ली..आज मैं बहुत खुश हूं...अब जाकर सो जाओ..कल आपके माता-पिता के जाने के बाद हम मिलेंगे..और अब हमारी दुनिया होगी...काफी मजा आएगा..मेरी अधूरी दास्तां पूरी होगी...एक-एक कर वो सारी बातें बताऊंगी...कि आप भी हैरान रह जाएंगे..इतना कहते ही बोली..चलो..हवेली लौट जाओ...मैं हैरान उसकी बातें सुनता हुआ..हवेली की ओर लौटा..पीछे-पीछे वो लड़की..जैसे ही गेट पर पहुंचा..लड़की छू मंतर..मैं चुपचाप गेट लटकाकर मां के बगल में जाकर लेट गया...अगली सुबह क्या होगा..परिवार के जाने के बाद वो लड़की क्या गुल खिलाएगी..क्या बताएगी..क्या सच होगा..क्या झूठ होगा..कितना रोमांचक होगा...कल का इंतजार करिए।ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com