उस बैल की धमाचौकड़ी से सब परेशान थे..मैं भी समझ नहीं पा रहा था.कि अचानक ये बैल कहां से आया..इतना बवाल मचाया और अब ये कैसे अपने आप शांत होकर पीछे जा रहा है..खैर जैसे-तैसे बैल स्कूल से बाहर जाकर पेड़ के नीचे खड़ा हो गया..बिलकुल शांत..और स्कूल में फिर से पढ़ाई शुरू हो गई..बाद में उस लड़की ने बताया कि वो बैल कोई और नहीं..उस भूतनी महिला का पति है..जो किले से उसे तलाशता हुआ यहां तक आ पहुंचा..मैं पहचान गई..और उसे शांत किया है..अब वो भूतिया किले लौट जाएगा। दरअसल किले में पहले ही दिन उसे न देखकर घबरा गया और पता करते हुए वो स्कूल पहुंच गया..क्योंकि उसे मालूम था कि मैं यहां स्कूल में ही हूं।
खैर..स्कूल के बाद हम हवेली पहुंचे तो देखा कि दादी के साथ खेत पर काम करने वाला शख्स बैठा हुआ है और हैरान-परेशान कुछ बात कर रहा है.ये शख्स था रामू..जो इसी साल नया खेत पर काम करने आया था...पास में जाकर सुना तो पता चला कि वो समाधि के पास जैसे ही जाता है..उसे कुछ आवाज सुनाई देती है..ये आवाज कभी-कभी रोने की होती है..तो कभी हंसने की..कभी-कभी डरावनी भी...इस आवाज को सुनकर वो डर जाता है....वो कह रहा था कि उधर जाने में उसे डर लगने लगा है..कभी-कभी कुएं से समाधि की ओर देखो तो लगता है कि कोई आकृति से घूम रही है..कभी वो लड़की जैसी लगती है..कभी लड़का जैसी..कभी समझ में नहीं आता कि किस तरह की आकृति बन रही है..और जब पास जाते हैं तो वहां कुछ भी नजर नहीं आता..कभी-कभी आवाज सुनाई देती है..और ये सब तब होता है जब वो अकेला होता है..जब कई लोग होते हैं..उसका परिवार होता है तो कभी कुछ ऐसा एहसास नहीं हुआ... उसे अब खेत पर भी काम करने में डर लगने लगा है..
.उसके जाने के बाद जैसे ही मैंने दादी से पूछा..तो बोली..नहीं बेटा..बहाना बना रहा होगा..बड़ा कामचोर है...समाधि पर कुछ नहीं है..लेकिन जिस तरह वो बता रही थीं मुझे लगा कि वो इस बात को टाल रही हैं..और बात बदलना चाह रही हैं..हां दादी ने ये जरूर माना कि भूत-प्रेत होते हैं..उन्होंने भी कई बार देखे हैं..अनुभव किया है लेकिन समाधि पर कुछ नहीं है..हां इतना जरूर कहा कि बेटा वहां एकांत है इसलिए वैसे ही वहां नहीं जाना चाहिए..कोई भी छिपा हो सकता है..अकेले कभी मत जाना..और इस शख्स की बात को भूल जाओ..ये तो कुछ भी कहता रहता है...इसकी बात पर मैं ज्यादा गौर नहीं करती...लेकिन अब मुझे वो समाधि दिखाई दे रही थी..कुछ न कुछ तो है वहां..आखिर क्यों मुझे भी वहां जाने को मना किया जाता है..समाधि के आसपास किसकी आवाज सुनाई देती है..कौन है वहां...क्या रहस्य है समाधि का..कल का इंतजार करिए.....
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खैर..स्कूल के बाद हम हवेली पहुंचे तो देखा कि दादी के साथ खेत पर काम करने वाला शख्स बैठा हुआ है और हैरान-परेशान कुछ बात कर रहा है.ये शख्स था रामू..जो इसी साल नया खेत पर काम करने आया था...पास में जाकर सुना तो पता चला कि वो समाधि के पास जैसे ही जाता है..उसे कुछ आवाज सुनाई देती है..ये आवाज कभी-कभी रोने की होती है..तो कभी हंसने की..कभी-कभी डरावनी भी...इस आवाज को सुनकर वो डर जाता है....वो कह रहा था कि उधर जाने में उसे डर लगने लगा है..कभी-कभी कुएं से समाधि की ओर देखो तो लगता है कि कोई आकृति से घूम रही है..कभी वो लड़की जैसी लगती है..कभी लड़का जैसी..कभी समझ में नहीं आता कि किस तरह की आकृति बन रही है..और जब पास जाते हैं तो वहां कुछ भी नजर नहीं आता..कभी-कभी आवाज सुनाई देती है..और ये सब तब होता है जब वो अकेला होता है..जब कई लोग होते हैं..उसका परिवार होता है तो कभी कुछ ऐसा एहसास नहीं हुआ... उसे अब खेत पर भी काम करने में डर लगने लगा है..
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