हवेली में कुत्ते और बिल्ली चर्चा का विषय बने हुए थे, कभी लगता है कि बिल्ली है..कभी लगता था कि कुत्ता है..और कभी दोनों ही गायब हो जाते थे। तीसरे दिन और भी अजीबोगरीब घटनाएं होने लगीं..जिससे सभी में दहशत बढ़ गई। आज दिन में ही काली बिल्ली नजर आई..और कभी-कभी उसकी आवाज सुनाई देती। आवाज भी बिलकुल अलग हटकर थी..लगता था कि मानो रो रही हो..ऐसी आवाज जो देर तक कानों में गूंजती रहती। ये काली बिल्ली दिखने में भी अलग ही थी...लंबी सी..पूंछ आम तौर पर जितनी होती है..उससे लंबी लग रही थी। आंखें ऐसी चमक रही थीं..जैसे मोती चमक रहे हों। आकार भी उसका डरावना सा लग रहा था...अचानक बिल्ली गायब हो जाती..और फिर कभी नीचे दिखती..तो कभी ऊपर...
शाम ढलते-ढलते एक और बदलाव नजर आने लगा कि बिल्ली गायब हो गई..कुत्ता नजर आने लगा..ये कुत्ता भी काले रंग का था..और उसकी आवाज भी कमोबेश वैसी ही..जैसे बिल्ली की थी..मानो रो रहा है..इन रहस्यमय जानवरों से पूरी हवेली में डर पैदा होता जा रहा था और जब-जब आवाजें आतीं..लोगों में सन्नाटा खिंच जाता। आखिर ये जानवर आए कहां से...और एक जैसे कलर में कैसे हैं..एक जैसी आवाजें क्यों निकाल रहे हैं। जैसे-जैसे रात होने लगी..आज कुछ चिंता और बढ़ने लगी थी कि रात में ये चैन से जीने देंगे या नहीं।
रात गहराती जा रही थी...आंखों में से नींद उचटी हुई थी..देर रात के बाद कब नींद लगी..पता ही नहीं चला..तब तक बिलकुल शांति थी...लग रहा था कि आज ये जानवर गायब हैं लेकिन ऐसा नहीं था...अचानक जोर की बर्तन गिरने की आवाज से सबकी नींद खुल गई..आवाज रसोई से आ रही थी..जहां खाना बनता था..कोई बर्तनों के साथ कुश्ती सा कर रहा था...दादा जी और एक सेवक हाथों में डंडा लिए रसोई की और दौड़े...देखा कि रसोई का दरवाजा खुला हुआ है....सटकनी टूटी हुई है..जैसे किसी ने जोर से रसोई के दरवाजे को धक्का दिया हो...भीतर जाकर देखा तो और भी विकट हालात थे..खाने के सारे बर्तन इधर-उधर फैले हुए हैं...जैसे किसी ने खाया भी हो..और फैलाया भी हो...ऊपर नजर डाली तो देखा कि छप्पर भी टूटा हुआ है..जैसे किसी ने इसमें से घुसने की कोशिश की हो। पूरा नजारा देखकर सभी का दिल दहल गया। अब ये नई आफत आज देखने को मिल रही थी..जैसे कोई चोर घुसा हो..और भूखा हो..इसलिए चोरी के साथ खाने-पीने पर भी टूट पड़ा हो...दादा जी और उस सेवक ने सभी कमरों में जा-जाकर देखा तो सभी जगह सामान्य था..कोई सामान भी चोरी नहीं हुआ था...फिर कौन था..जिसने रसोई में जाकर तबाही मचाई..क्या ये कुत्ते और बिल्ली ही थे..या फिर वाकई कोई चोर घुसा था..क्या माजरा है..किसी की समझ में नहीं आ रहा था..कल क्या होगा...इंतजार करिए।
शाम ढलते-ढलते एक और बदलाव नजर आने लगा कि बिल्ली गायब हो गई..कुत्ता नजर आने लगा..ये कुत्ता भी काले रंग का था..और उसकी आवाज भी कमोबेश वैसी ही..जैसे बिल्ली की थी..मानो रो रहा है..इन रहस्यमय जानवरों से पूरी हवेली में डर पैदा होता जा रहा था और जब-जब आवाजें आतीं..लोगों में सन्नाटा खिंच जाता। आखिर ये जानवर आए कहां से...और एक जैसे कलर में कैसे हैं..एक जैसी आवाजें क्यों निकाल रहे हैं। जैसे-जैसे रात होने लगी..आज कुछ चिंता और बढ़ने लगी थी कि रात में ये चैन से जीने देंगे या नहीं।
रात गहराती जा रही थी...आंखों में से नींद उचटी हुई थी..देर रात के बाद कब नींद लगी..पता ही नहीं चला..तब तक बिलकुल शांति थी...लग रहा था कि आज ये जानवर गायब हैं लेकिन ऐसा नहीं था...अचानक जोर की बर्तन गिरने की आवाज से सबकी नींद खुल गई..आवाज रसोई से आ रही थी..जहां खाना बनता था..कोई बर्तनों के साथ कुश्ती सा कर रहा था...दादा जी और एक सेवक हाथों में डंडा लिए रसोई की और दौड़े...देखा कि रसोई का दरवाजा खुला हुआ है....सटकनी टूटी हुई है..जैसे किसी ने जोर से रसोई के दरवाजे को धक्का दिया हो...भीतर जाकर देखा तो और भी विकट हालात थे..खाने के सारे बर्तन इधर-उधर फैले हुए हैं...जैसे किसी ने खाया भी हो..और फैलाया भी हो...ऊपर नजर डाली तो देखा कि छप्पर भी टूटा हुआ है..जैसे किसी ने इसमें से घुसने की कोशिश की हो। पूरा नजारा देखकर सभी का दिल दहल गया। अब ये नई आफत आज देखने को मिल रही थी..जैसे कोई चोर घुसा हो..और भूखा हो..इसलिए चोरी के साथ खाने-पीने पर भी टूट पड़ा हो...दादा जी और उस सेवक ने सभी कमरों में जा-जाकर देखा तो सभी जगह सामान्य था..कोई सामान भी चोरी नहीं हुआ था...फिर कौन था..जिसने रसोई में जाकर तबाही मचाई..क्या ये कुत्ते और बिल्ली ही थे..या फिर वाकई कोई चोर घुसा था..क्या माजरा है..किसी की समझ में नहीं आ रहा था..कल क्या होगा...इंतजार करिए।