दादा जी अब चिंतित होने लगे थे कि आखिर ये घटनाएं क्यों हो रही हैं...हर रोज कुछ न कुछ हादसा..पूरी हवेली को परेशान कर रहा था..इसलिए फिर उन्हीं पुजारी जी की सेवाएं लेने का मन बनाया और उनसे गुजारिश करने पहाड़ी पर बने मंदिर में पहुंचे। पुजारी जी समझ चुके थे कि हवेली और खेत के आसपास रहस्यमयी दुनिया बसती है। पुजारी जी आए..और हवेली में उन्होंने फिर अनुष्ठान शुरू किया। हवेली के आंगन में अनुष्ठान चल रहा था..पुजारी जी मंत्र पढ़े जा रहे थे..तभी देखते हैं कि कुत्ते के फिर रोने की आवाज सुनाई दी...हवेली के बाहर एक काले रंग का अजीब कुत्ता खड़ा हुआ था...और लगातार रोने के अंदाज में भौंके चले जा रहा था...अजीब सी आवाज ने सभी का ध्यान उस और खींच लिया..पुजारी जी ने इशारा किया..कि उसके रास्ते में कोई बाधा न बनना..जैसा वो करता है..उसे करने दो..धीरे-धीरे कर कुत्ता हवेली के भीतर दाखिल हो गया..जहां अनुष्ठान चल रहा था..देखा कि पुजारी जी एक और कुछ भोजन रख दिया..कुत्ता धीरे-धीरे कर उस भोजन की ओर बढ़ा..और उसे खाना शुरू कर दिया..पुजारी जी ध्यान से उसे देखे जा रहे थे...
थोड़ी ही देर में उसी बिल्ली की आवाज सुनाई दी...वही बिल्ली..वही आवाज..रोने जैसी..वो भी उसी तरह हवेली के भीतर दाखिल हुई...और उसे भी अलग से भोजन सामग्री रख दी गई..दोनों ने भोजन साफ कर दिया। पुजारी जी ने ध्यान से दोनों को देखा..और मंत्रोच्चार करते हुए उन पर जल फेंक दिया। इतना करते ही दोनों तेजी से हवेली की ओर दौड़े..इतने तेजी से लोग देखते रह गए। हवेली के बाहर जाते ही कहां गायब हुए..किसी की समझ में नहीं आया...पुजारी जी का अनुष्ठान थोड़ी ही देर में खत्म हुआ।
जब सब कुछ निपट गया तो दादा जी ने उनसे पूछा कि आखिर कौन थे...तो पुजारी जी मुस्कराने लगे..बोले..आपकी समस्या का अंत हो गया है..अब ये कुत्ता और बिल्ली इस हवेली के आसपास कभी नजर नहीं आएंगे..आखिर कौन थे..ये दोनों...इस पर काफी जिद करने पर उन्होंने बताया कि भूत-प्रेत कहां से भटककर कहां पहुंच जाए..कुछ नहीं कह सकते..ये भी दो ऐसे ही प्रेत थे..जो कहीं से भटकते हुए यहां पहुंचे..मैंने जो उपचार किया है..उससे अब ये इस ओर कभी रुख नहीं करेंगे..क्योंकि जो भोजन उन्हें दिया हैं और जो जल छिड़का है..वो इन्हें हमेशा याद रहेगा..इसलिए निश्चित तौर पर ये इस हवेली क्या..इस इलाके से दूर निकल गए होंगे..मैंने इन्हें परेशान नहीं किया..मैं चाहता तो इन्हें कैद कर सकता था..लेकिन आपकी समस्या दूर हुई..इसलिए अपने को इनसे क्या लेना-देना...दादी जी बता रही थी कि उसके बाद से वाकई कभी वो रहस्यमयी कुत्ता और बिल्ली कभी नजर नहीं आए....दादी ने अब मुझे सो जाने को कहा..लेकिन मैं उनसे एक और कहानी सुनाने की जिद करने लगा..दादी बोली..कहानियों का तो भंडार है लेकिन तुम्हें कल बड़ी ही रोचक कहानी सुनाऊंगी..लेकिन कल का इंतजार करिए......
थोड़ी ही देर में उसी बिल्ली की आवाज सुनाई दी...वही बिल्ली..वही आवाज..रोने जैसी..वो भी उसी तरह हवेली के भीतर दाखिल हुई...और उसे भी अलग से भोजन सामग्री रख दी गई..दोनों ने भोजन साफ कर दिया। पुजारी जी ने ध्यान से दोनों को देखा..और मंत्रोच्चार करते हुए उन पर जल फेंक दिया। इतना करते ही दोनों तेजी से हवेली की ओर दौड़े..इतने तेजी से लोग देखते रह गए। हवेली के बाहर जाते ही कहां गायब हुए..किसी की समझ में नहीं आया...पुजारी जी का अनुष्ठान थोड़ी ही देर में खत्म हुआ।
जब सब कुछ निपट गया तो दादा जी ने उनसे पूछा कि आखिर कौन थे...तो पुजारी जी मुस्कराने लगे..बोले..आपकी समस्या का अंत हो गया है..अब ये कुत्ता और बिल्ली इस हवेली के आसपास कभी नजर नहीं आएंगे..आखिर कौन थे..ये दोनों...इस पर काफी जिद करने पर उन्होंने बताया कि भूत-प्रेत कहां से भटककर कहां पहुंच जाए..कुछ नहीं कह सकते..ये भी दो ऐसे ही प्रेत थे..जो कहीं से भटकते हुए यहां पहुंचे..मैंने जो उपचार किया है..उससे अब ये इस ओर कभी रुख नहीं करेंगे..क्योंकि जो भोजन उन्हें दिया हैं और जो जल छिड़का है..वो इन्हें हमेशा याद रहेगा..इसलिए निश्चित तौर पर ये इस हवेली क्या..इस इलाके से दूर निकल गए होंगे..मैंने इन्हें परेशान नहीं किया..मैं चाहता तो इन्हें कैद कर सकता था..लेकिन आपकी समस्या दूर हुई..इसलिए अपने को इनसे क्या लेना-देना...दादी जी बता रही थी कि उसके बाद से वाकई कभी वो रहस्यमयी कुत्ता और बिल्ली कभी नजर नहीं आए....दादी ने अब मुझे सो जाने को कहा..लेकिन मैं उनसे एक और कहानी सुनाने की जिद करने लगा..दादी बोली..कहानियों का तो भंडार है लेकिन तुम्हें कल बड़ी ही रोचक कहानी सुनाऊंगी..लेकिन कल का इंतजार करिए......