Thursday, October 1, 2015

भूत की कहानी का 81 वां दिन(वो बुढ़िया कौन थी?)

रात होते ही फिर दादी के पास बैठ गया भूत की नई कहानी के लिए...दादी बोली..ये भी सच्ची कहानी है और उन्होंने खुद अनुभव की है। इस हवेली के न जानी कितने किस्से-कहानियां जेहन में बसे हुए हैं। सालों पहले की बात है..हवेली के सामने से ही रोज कई लोग गुजरते हैं जो पास के गांवों से यहां अपने काम के लिए आते हैं। अपना गांव बड़ा है जबकि आसपास छोटे-छोटे गांव हैं।


एक दिन एक बुढ़िया हवेली के पास खड़ी थी..हवेली की ओर बड़ी ही हसरत से देख रही थी। मैंने उससे पूछा कि क्या बात है..तो बोली कुछ नहीं...क्या पानी के लिए पानी मिलेगा। मैंने कहा क्यों नहीं..लाठी के सहारे धीरे-धीरे चलती वो बुढ़िया हवेली के भीतर आई..और पानी पिलाया। मैंने उससे पूछा कि किस गांव की हो..और यहां क्यों आना हुआ...आसमान की ओर ताकती बुढ़िया चुप हो गई..जब बार-बार पूछा तो बमुश्किल बोली..आप जानकर क्या करेंगी..घर में कौन-कौन है..इस पर भी बुढ़िया टालती रही। मैंने कहा-कुछ खाओगी..तो पहले तो मना किया और आग्रह करने पर भोजन को तैयार हो गई। हम ये देखकर दंग रह गए..कि बुढ़िया का जितना शरीर नहीं था..उससे कई गुना वो भोजन कर गई। मुझे लगा कि कई दिनों से भूखी होगी..मन प्रसन्न हो रहा था कि किसी भूखे-प्यासे को भोजन-पानी करा दिया। बुढ़िया आशीष देती हुई धीरे-धीरे लाठी लिए निकल गई।

कुछ दिनों बाद वो बुढ़िया फिर हवेली के बाहर नजर आई। अब ये सिलसिला शुरू हो गया। कभी-कभी वो बुढ़िया खुद ही आ जाती और कभी पानी कभी भोजन कर चली जाती। बार-बार पूछने पर कुछ नहीं बताती। न तो अपने परिवार के बारे में..न ही अपने काम के बारे में। टालने के अंदाज में रहती। ज्यादा बात करने से कतराती। मैं भी सोच रही थी कि बुढ़िया की अपनी जिंदगी है..अपने को क्या लेना-देना। किसी को पानी-भोजन कराने से पुण्य ही मिलता है।
जब कई महीने हो गए.. तो उस बुढ़िया का कुछ मुंह खुला..एक बार उसने बता ही दिया कि पास के गांव की रहने वाली है। उसके चार बेटे हैं और एक बेटी है। सभी की शादी हो चुकी है और उसके पति भी काफी बुजुर्ग हैं। सभी उसी गांव में रहते हैं। खेती-बाड़ी से घर का गुजारा चलता है। वो इस गांव क्या करने आती है तो बोली...कुछ ही महीने पहले उसका सबसे छोटा बेटा गुम हो गया है। उसे तलाशने के लिए भटक रही है। उस वक्त फोटो नहीं हुआ करते थे। बुढ़िया ने बेटे का हुलिया बताया और कहा कि यदि इस तरह का कोई बच्चा कभी मिले तो उसके बारे में जरूर बताना। मेरा मन भी बुढ़िया की कहानी सुनकर व्यथित हो गया। इस उम्र में बच्चा गुम होने का दर्द एक मां ही अच्छे से समझ सकती है। मुझे भी लगा कि उसके बच्चे को तलाश करने में सहयोग करना चाहिए। मैंने भी इधर-उधर उस बुढ़िया की कहानी लोगों को बतानी शुरू की और कहा कि यदि किसी को उस बच्चे का पता चले तो मुझे जरूर बताए। महीनों बीतते गए..वो बुढ़िया मिलती रही लेकिन हर बार उसके चेहरे पर एक अजीब सी मायूसी और दर्द झलकता नजर आया..लेकिन बच्चा नहीं मिला।

आखिर ये बुढ़िया कौन थी..इसका बच्चा मिला या नहीं..क्या है इस बुढ़िया का राज और इसके बच्चा गुम होने का..कल का इंतजार करिए।now see.....www.bhootworld.com