Sunday, March 1, 2015

भूतों की दुनिया में आपका स्वागत है

दोस्तों..भूत होते भी हैं या नहीं..कभी लगता है होते हैं..कभी लगता नहीं होते हैं..दिल कहता है कि होते हैं..दिमाग कहता है कि नहीं होते है..लेकिन बचपन से लेकर आज तक जो कुछ मैंने देखा..सुना..पढ़ा..ऐसे अनगिनत किस्से हैं..जो मेरे साथ हुआ..वो तो मेरे दिल की गहराईयों तक आज भी उतरा हुआ है..याद करता हूं तो सहम जाता हूं..मानस पटल पर एक-एक घटना छपती चली जाती है और बड़ी देर के बाद उस भूत के साये से छुटकारा मिलता है..पता नहीं वहम है या हकीकत..रोंगटे खड़े कर देने वाला घटनाक्रम..
ये घटनाक्रम इतना लंबा कि एक स्टोरी बुक तैयार हो जाए..बहुत कुछ छप रहा है..सीरियल बन रहे हैं..फिल्में बन रही हैं..पर जो सहता है वो जानता है..जो देखता है वो सहमता है..कई सालों के घटनाक्रम को एक दिन में तो नहीं बता सकते..जो अनुभव मुझे हुए..उसे आपके साथ शेयर करने का मन हुआ..क्योंकि जितनों को सुनाया..उन्हें दिलचस्प लगा..और लोगों की राय बनी कि इसे शब्दों पर उतारा जाए ताकि बाकी लोग भी अनुभव करें..भले ही फन के लिए..भले ही भूतों के बारे में अपनी राय बनाने के लिए या फिर एक स्टडी केस के लिए..तो भूतों की दुनिया में आपका स्वागत है..
यूपी के ललितपुर जिले में एक छोटा सा गांव है बानपुर..ये कहानी वहीं से शुरू होती है..मैं उस वक्त कक्षा चार में था..मेरी दादी एक बड़े से घर में रहती थीं.घर भी गांव से बाहर खेत में....लंबा-चौड़ा घर...कई कच्चे-पक्के कमरे..उस वक्त गांव में बिजली का नामोनिशान नहीं...मैं और मेरी दादी की ये कहानी है..जो शुरू होगी तो बहुत लंबी जाएगी..धैर्य हो तो पढ़ें..सुनें..और महसूस करें कि जब भूत जेहन में छाता है तो क्या होता है..वो भी नौ साल के बच्चे पर..क्या हुआ..कैसे हुआ..एक-एक पन्ने कर खुलेंगी वो यादें..ये लिखते वक्त भी मुझे अजीब सा महूसस हो रहा है पता नहीं लिख पाऊंगा या नहीं..या कितना लिख पाऊंगा..क्योंकि इससे उबरना आसान नहीं..फिर भी एक हिम्मत जुटा रहा हूं...शुरूआत करूंगा अगले दिन से..क्योंकि भूत पीछा नहीं छोड़ता..और अब मुझे उसकी गिरफ्त में आना नहीं..इसलिए धैर्य मुझे भी रखना होगा..आपको भी....कल क्या होगा..कल देखिए।ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com