Monday, August 31, 2015

भूत की कहानी का 61 वां दिन (तांत्रिक और भूतों की जंग)

भूतिया किले की खुफिया टीम के भयानक भूत आज सुबह से ही अपने काम में जुट चुके थे...चारों और से भूतों का जाल बिछ चुका था..किले के आसपास कई पेड़ों पर कोई सांप बनकर लटक रहा था तो कोई चिड़िया के रूप में..कोई उल्लू बन चुका था..तो कोई जमीन में गाय बनकर टहल रहा था...यही नहीं आसमान से भी नजर रखने की प्लानिंग की जा चुकी थी और अंधेरा होते ही..दो बाज आसमान में घूमने लगे..


जैसे ही रात गहराई लेकिन कहीं कोई नामोनिशान नहीं था.. आधी रात होते ही तांत्रिक की टीम गांव की ओर से रवाना हुई..गांव में पहले से मौजूद भूतों ने हवा में लहराते हुए किले का रुख किया और सारी जानकारी दी....जैसे ही तांत्रिक किले के गेट के पास अपने ठिकाने पर पहुंचा और तंत्र-मंत्र शुरू किया तो पेड़ पर बैठे भूत की आंखें खुली की खुली रह गई..क्योंकि बोतल में बंद भूत तांत्रिक के पास मौजूद था..और ये भूतिया किले का ही सदस्य था..अब भूतों की टीम को पता चल चुका था कि यही तांत्रिक है जो भूतों को गायब कर रहा है। रात में टहल रही एक गाय तांत्रिक के पास पहुंची तो तांत्रिक के साथी कुछ सकपकाए..जैसे ही मंत्र पढ़ना शुरू किया तो गाय बना भूत अपने मूल रूप में आ चुका था..तांत्रिक ने बोतल खोली और उस भूत को कब्जे में लेने की कोशिश शुरू हुई..भूत तांत्रिक के पास खिंचता चला आ रहा था...भूत ने भागने की बहुत कोशिश की लेकिन बच नहीं सका और बोतल में समा गया...
तांत्रिक अट्टाहास कर रहा था..आज का पहला शिकार उसके पास था..इधर भूतों की टीम सकपका चुकी थी क्योंकि पहली बार भूतों की लाइफ में इतना खतरनाक तांत्रिक देख रहे थे..भूतों की टीम ने बाकी भूतों को उस ओर जाने से रोकना शुरू किया..रात भर में एक ही भूत तांत्रिक को मिला था..वो भी खुफिया टीम का मेंबर..तांत्रिक को आज कुछ अजीब सा लगा..उसे भी अंदाजा हो रहा था कि कहीं कोई भनक भूतों को लग चुकी है..इसलिए घर जाते ही तांत्रिक की टीम ने उस भूत को बोतल से निकाला और अपनी क्रियाओं के जरिए उसे बांध दिया..उसे प्रताड़ित करने के साथ ही लालच दिया गया कि वो भूतिया किले के बारे में जानकारी दे...
वो भूत भी समझ गया था कि यहां दिमाग चलाने की जरूरत है..उसने भी भूतिया किले में अपनी परेशानी को रोना शुरू किया और तांत्रिक को भरोसा दिलाया कि वो और भूतों को पकड़ने में उसकी मदद करेगा लेकिन इसके लिए उसे छोड़ना होगा.ताकि वो भूतिया किले से भूतों को बरगला कर बाहर निकाले..खास तौर से रात में..जिससे ज्यादा से ज्यादा भूत उसके पास आ जाएं.....अगले दिन इसकी तैयारी हुई....
दूसरी तरफ भूतिया किले का सरदार की समझ में नहीं आ रहा था कि इस तांत्रिक को कैसे पकड़ा जाए...इसके लिए बुजुर्ग भूतों को बुलाया गया..उनसे राय-मशविरा हुआ..तांत्रिक को कब्जे में करने की कई विधियों पर विचार किया गया...कुल मिलाकर तांत्रिक अपने मिशन में जुटा हुआ था और भूतिया किले का सरदार अपने मिशन में...दोनों में किसकी जीत हुई..किसकी हार..कैसे मिशन को अंजाम दिया गया...कल का इंतजार करिए.....
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