Saturday, July 25, 2015

भूत की कहानी का 31 वां दिन (डायनासोर पर भूतों का सरदार)

भूतिया किले में शोरगुल लगातार बढ़ता जा रहा था, तभी मंच पर एक और दैत्याकार भूत चढ़ा और उसने अपने हाथ से मुंह पकड़ कर अजीब सी आवाज निकालनी शुरू की, उसके आवाज निकालते ही चारों तरफ सन्नाटा पसर गया। जो भी भूत इधर-उधर कलाबाजियां खा रहे थे, सब अचानक शांत हो गए, और ऐसे बैठ गए, मानो इनसे सीधा कोई नहीं, बिलकुल चुपचाप, लग ही नहीं रहा था कि यहां हजारों भूतों का जमावड़ा है।

तभी देखा कि तेज आंखों में सीधे लेजर किरणों जैसी रोशनी मंच की ओर आ रही है, समझ आ रहा था कि भूतों के सरदार की सवारी आ रही है। रोशनी धीरे-धीरे कर फैलती गई, और देखता हूं कि फिर शोरगुल सा बढ़ रहा है, जहां से रोशनी आ रही थी वहीं से अजीब से ढोल-ढमाके से बज रहे थे, बीच-बीच में अजीब सी चीखें सुनाई दे रही थीं, पास आने पर देखता हूं कि भयानक डायनासोर जैसे जानवर पर भूतों के सरदार विराजमान है, उस डायनासोर से अलग जो जुरासिक पार्क में देखा था, भूतिया डायनासोर की लंबाई उससे भी ज्यादा, गर्दन इतनी लंबी की सौ-दो सौ आदमी कतार में गर्दन पर ही बैठ जाएं। उसका मुंह इतना डरावना कि देखने को जी न चाहे, ऊपर से  नीचे भयानक हिलती गर्दन, यदि आसपास पेड़ हो तो एक सैकंड में धराशायी हो जाएं, उस डायनासुर नुमा जानवर पर ही भूतों के सरदार की बैठकी जमी हुई है, उनके पीछे दो दैत्याकार भूत अगल-बगल में विराजमान हैं। यही नहीं आगे दो लंबे-लंबे कुत्ते चल रहे हैं जो कभी इधर तो कभी उधर मुंह हिला रहे हैं और बीच-बीच में डरावनी सी आवाज निकाल रहे हैं। उसके बाद कुछ भूतों की मंडली है, वैसे ही जैसे पुराने जमाने में आदिवासियों की मंडली हुआ करती थी लेकिन ये सब बड़े भयानक, अजीब से आकार, कोई दो पैरों पर खड़ा है लेकिन मुंह घोड़े जैसा है तो कोई गधे जैसा, यही नहीं इंसान का रूप भी धारण किए हैं लेकिन चार पैरों के साथ, चार पैर का इंसान, केवल मुंह इंसान जैसा, बाकी धड़ जानवर का..पूंछ हिलाता हुआ मटक रहा है। सबके सब मटकते हुए, नाचते हुए चले आ रहे हैं, जैसे ही मंच के पास भूतों के सरदार का काफिला पहुंचा, अचानक डायनासोर जैसे जानवर ने अंगड़ाई ली और उसके दोनों पैर नीचे की ओर मुड़ गए, तभी पीछे देखता हूं कि करीब 12 कमांडो जैसे भूतों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। लड़की से पूछा कि आखिर भूतों को भी डर होता है, बोली नहीं लेकिन हम भी धरती जैसी ही कुछ परंपराएं निभाते हैं जैसा हमने जीवन में देखा वो ही यहां अमल में ला रहे हैं. यही नहीं पहले से ही भूतों की दुनिया में इस तरह की कवायद चली आ रही है. दूसरा इंसान जैसे ही झगड़े, साजिश-षडयंत्र भूतों में भी होते हैं, हमारे सरदार की भी गरिमा और सम्मान है, उसके ओहदे के मुताबिक उसका रुतबा भी दिखना चाहिए। बरसों बाद आप पहले इंसान हो जो भूतों के मेहमान बने हो।

खैर चारों और खतरनाक शक्ल सूरत और शरीर वाले पहरेदारों से घिरे भूतों के सरदार मंच पर पहुंचे, मौजूद सारे भूतों ने उठकर उनका स्वागत किया, किसी ने चीख निकाली तो किसी ने हवा में पूछ उंछाली तो एक भूत ने तो मुंह से आग के गोले फेंकने शुरू कर दिए, तो किसी ने भले भूत ने फूलों की बारिश कर दी, कुछ खट्टा कुछ मीठा सा माहौल, लेकिन कुल मिलाकर डरावना तो है, रात को किस तरह चला जश्न, क्या-क्या हरकतें हुएं,क्या गुल खिले, कल का इंतजार करिए।ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com