Friday, July 24, 2015

भूत की कहानी का 30 वां दिन( भूतों का ये कैसा जश्न?)

हवेली में तो आ गया लेकिन मन नहीं लग रहा था। शाम ढली, तो किले के भीतर की रहस्मयी दुनिया मन में तैर रही थी। लंबी-लंबी पूछें, हवा में तैरते जानवर, विशालकाय भयानक शरीर, सब कुछ फिल्म जैसा आगे से गुजर रहा था। रात हुई, अंधेरा बिखर चुका था, चारपाई पर लेट चुका था, बगल में दादी लेटी हुई थीं लेकिन मेरा मन अब भी भूतिया किले में घूम रहा था, तभी आहट सी हुई, देखा बगल में लड़की इशारा कर रही है, मैं चुपचाप उसके साथ चल पड़ा.

जैसे ही हवेली के बाहर निकला, लड़की का रूप बदलने लगा, मानो गरूड़ जैसी सवारी सी बना ली, उसने इशारा किया, मैं उसके पीठ पर और फिर क्या था, हवाई जहाज की तरह हवा में उड़ने लगा, थोड़ी ही देर में आसमान की सैर कर रहा था, जिस तेजी से हम अंधेरे आसमान में तैर रहे थे, लग रहा था कि चांद-तारे पास में आ गए हैं, कुछ ही मिनट में हम फिर किले के ऊपर थे, धीरे-धीरे कर हम नीचे उतरे तो देखा कि भूतिया किले में कहीं-कहीं घोर अंधेरा है तो कहीं मशालें जल रही हैं, तो कहीं चकाचौंध करती रोशनी आ रही थी, अजीब समां बंधा हुआ था और तमाम भूत इधर-उधर डोलते हुए एक रास्ता पकड़े हुए थे, हम भी लड़की के साथ उसी ओर चलने लगे। जैसे ही कोई उस लड़की के साथ मुझे देखता तो अजीब सी आवाज निकालता जिससे मुझे और भी डर लग रहा था, लड़की की तरफ देखा तो बोली, अभिवादन कर रहे थे जैसे हम नमस्ते करते हैं, या स्वागत करते हैं, ये भी बड़ा अजीब था, इस स्वागत से तो मेरी और भी हालत खराब हो रही थी, तभी देखता हूं कि एक लंबी सी पूछ मेरे चारों और घिर आई है, मैं आगे बढ़ूं तो बढ़ूं कैसे, तभी लड़की ने एक फूंक मारी. देखता हूं कि पूछ गायब, मैंने फिर उसकी तरफ देखा तो बोली, बड़ा ही शरारती भूत है, अगर मैं न होती तो आपको तो एक कदम ही आगे ही नहीं बढ़ने देता।

बातों ही बातों में पता चला कि दिन में जिस भूत का क्रियाकर्म हुआ था उसके जाने की खुशी में आज जश्न की तैयारी हो रही है, थोड़ी ही देर में देखा कि चारों तरफ भूतों की भीड़ उमड़ी हुई है, कोई लंबे-लंबे दांत निकाले हुए है, तो किसी के कान के पर्दे हाथी से भी बड़े हैं और ऐसे हवा कर रहे हैं जैसे पंखा झल रहे हों, कोई बिलकुल सींक जैसा हवा में लहरा रहा है, तो किसी का मुंह काला है पर बीच-बीच में आंखों से तेज रोशनी सी चमक रही है, एक कुत्ता ऐसा मिला जो करीब 20 फीट का होगा, उसकी पूछ ही 5 फीट की होगी। काले रंग का अजीब सा कुत्ता, सांपों में सबसे बड़ा अजगर देखा था लेकिन ये कैसा सांप, जो करीब 200 फीट लंबा, उसके रंग ऐसे जैसे गिरगिट के रंग बदलते हैं, लड़की बोली, ये बहुत पुराना भूत है, बताते हैं कि दो सौ साल से इस भूतिया किले में है और उम्रदराज भूतों में से है, जब भी कोई जाता है तो सब इसकी ओर देखने लगते हैं कि इसका नंबर कब आएगा, भूत के लिए भूतों की संवेदना का ये अनोखा उदाहरण था। एक ढोलक लुढ़कती हुई जा रही थी, लड़की ने बताया कि ये संगीत मंडल का सदस्य भूत है, उसके आगे पीछे हारमोनियम, मजीरे और तबले भी लुढ़कते हुए चले जा रहे हैं। दरअसल पूरी की पूरी संगीत मंडली के भूत अपना रूप बदलकर कार्यक्रम स्थल की ओर जा रहे थे। ऐसा मंजर तो मैंने आज तक किताबों में भी नहीं पढ़ा, न फिल्मों में देखा, देखता हूं कि मंच स्थल पर करीब दो हजार भूतों की भीड़ अजीब-अजीब हरकत कर रही है, कोई हवा में उछल रहा है तो कोई अजीब सी चीख निकाल रहा है, कोई फैल रहा है तो कोई सिकुड़ रहा है, कोई रंग बदल रहा है तो कोई भेष बदल रहा है, अच्छा खासा दिलेर आदमी हार्ट अटैक से मर जाए, लेकिन उस लड़की की दोस्ती ही थी कि मुझे जिंदा किए हुए थी।

जैसे ही मंच स्थल पर पहुंचा तो देखा कि रोशनी के बड़े-बड़े गोले हवा में चमक रहे हैं और चारों तरफ रोशनी बिखेर रहे हैं, मंच के चारों तरफ किले के बाहर मिले भयावह पहरेदार भूतों को कंट्रोल कर रहे हैं, और सभी को अजीब सी आवाज में बता रहे हैं कि भूतों के सरदार बस पहुंचने ही वाले हैं, क्या हुआ उस रात, कैसा रहा जश्न, कितना डरावना, कितना हंगामेदार, कल का इंतजार करिए।amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com