Sunday, July 26, 2015

भूत की कहानी का 32 वां दिन( हवा में भूतनियों का आयटम डांस)

भूतिया किले में जश्न का वक्त करीब आ गया था। डायनासोर नीचे बैठा हुआ था, भूतों के सरदार मंच पर चढ़ चुके थे, तभी हाथी दांत से निकाले हुए भयानक भूत ने अपनी तोंद पर हाथ फेरा और हवा में जोर से फूंक मारी, आग का गोला ऊपर तक गया और नीचे मंच पर अजीब सी कुर्सी तैयार, इतनी बड़ी कुर्सी की करीब 10 फीट ऊंची, उस पर अलग-अलग खोपड़ियों से जैसे मुंह ऊपर की ओर बने हुए, उनमें से लाल-लाल जीभ बाहर लपलपा रही है, अगल बगल में सींग से निकले हुए, भूतों के सरदार विराजमान हुए। तभी बगल में देखा कि बड़ा सा घंटा, करीब 100 किलो से कम का नहीं होगा, उसके बगल में बजाने वाली हथौड़ी जैसी लटकी हुई है। सरदार उठा, जोर से घंटे पर मारा, पूरा का पूरा भूतिया किला भयानक आवाज से गूंज उठा। अगर इंसान ऐसे कार्यक्रम में देख रहे हो, तो सब के सब वहीं भूत बन जाएं, मुझे भी लग रहा था कि कब इनकी जमात में शामिल हो जाऊंगा नहीं मालूम, आधा तो हो ही चुका था।

इसके बाद सरदार ने फिर ताली सी बजायी, और न जाने कौन सी भाषा में चीखा, देखता हूं कि सारे भूतों की मुंडियां ऊपर आसमान को ताक रही हैं, मैने भी गर्दन उठायी तो अवाक रह गया। हवा में तैरते कंकाल नीचे की ओर रहे हैं, एक नहीं दो नहीं दर्जनों, अंधेरे में नजदीक आते हड्डियों के कंकाल, लहराते हुए, एक दूसरे से टकरा रहे हैं, और जोरदार चीखों से सारा किले गूंज रहा है, कभी किसी के मुंह से आग निकल रही है तो कभी किसी के मुंह से अजीब-अजीब सांप बाहर आ रहे हैं। ऐसे सांप भी मैने कभी नहीं देखे, इतने पतले कि जीरो फिगर वाले।
यही नहीं सांप बाहर भी आ रहे हैं, मुंह में वापस भी जा रहे हैं, तभी देखता हूं कि अचानक खनकती आवाज, समां कुछ बदल रहा था, जो भूत अभी तक करतब दिखा रहे थे, वो अंधेरे में एक-एक कर विलीन हो गए, और मधुर सा संगीत हवा में तैरने लगा। ये क्या, भूत जितने बदसूरत थे, भूतनियां उतनी ही सुंदर, एक से बढ़कर एक भूतनियां, बिलकुल फिल्मी हीरोइन की तरह, सांभा-सांभा जैसा डांस करते हुए, शायद इनका आयटम सांग होगा, उनके आजू-बाजू काले-काले डरावने भूत ढपली पीटते हुए हवा में तैर रहे हैं। इस आयटम सांग ने दिल को कुछ सुकून दिया कि कुछ तो इंसानों जैसा था। जैसे ही सांग पूरा हुआ, भूतनियां कहां से आईं कहां गईं पता नहीं नहीं चला।

अब और जोरदार खेल का नजारा था, अचानक देखा तो हवा में तैरते हुए दैत्य जैसे भूत, दो मंजिला इमारत की ऊंचाई इनके लिए छोटी पड़ जाए, इतना मोटा पेट कि कई आदमी समा जाएं। हाथ में तलवार लिए और ढाल लिए, इतनी बड़ी तलवार कि पूरे के पूरे आदमी से बड़ी, ऐसी ही ढाल, दोनों आमने सामने, इतनी बड़ी मूछें कि महिलाओं के लंबे बाल छोटे पड़ जाएं। जैसे ही आमने-सामने हुए, तलवार से चमकती चिंगारी और आवाज से किसी की भी चीख निकल जाए, ये खतरनाक खेल तब तक चला जब तक कि एक भूत के पेट में तलवार नहीं घोंप दी गई, तलवार घुसते ही हारने वाला भी गायब, जीतने वाला भी गायब। अब और भी अजब-गजब मंजर सामने आया। दो सांप, इतने बड़े की अजगर भी मात खा जाए, ऐनाकोंडा जैसे ही थे कुछ, जो हवा में ऊपर तक उछलने की शुरूआत हुई और दोनों आपस में एक दूसरे को जकड़ने लगे कि हैरान रह जाएं, जिन्होंने एनाकोंडा बनाई, वो इस जश्न को देख लेते तो उन्हें डर का पता चल जाता। एक दूसरे को लपेटेते हुए, यहां तक कि इतनी लंबी जीभ, जिस पर एक आदमी को ही बिठा लें।
मैं हैरान था, लड़की की ओर बार-बार देख रहा था, मुस्करायी और बोली, डरो मत अभी तो शुरूआत है, इससे भी खतरनाक कार्यक्रम अभी होंगे, बड़ा मजा आएगा, उसे मजा आ रहा था, मेरी हालत बिगड़ रही थी, आगे क्या हुआ, और डरावना क्या था,कल का इंतजार करिए.ये भी पढ़िए...

amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com