Monday, July 27, 2015

भूत की कहानी का 33 वां दिन (भूतों की पार्टी ऐसी होती है)

जैसे-जैसे रात गहरा रही थी, भूतिया किले में रहस्यमयी और डरावने जश्न भी गहराता जा रहा था, हवा में आग उगलते भूत, हवा में चमकती तलवारें, अजीब-अजीब सी आवाजें, तभी सब कुछ शांत हुआ, बिलकुल अंधेरा, जैसे आसपास भी कोई नहीं दिख रहा, तभी आसमान में एक जुगनू जैसी लाइट चमकी, ये क्या..धीरे-धीरे ये रोशनी फैलने लगी, अरे, ये रोशनी नहीं, ये तो जैसे आग का गोला, जो लगातार बढ़ा होता जा रहा था, तभी राकेट की तेजी से एक लंबा सा धागा उस आग के आर-पार, गौर से देखा तो सांप जैसा, ये क्या, एक-एक कर एक नहीं दो नहीं, दर्जनों सांप जैसे इस आग से खेलने लगे। ये भी अजीब सा करतब..


जैसे ही ये करतब खत्म हुआ, एक और नायाब नमूना पेश हुआ, फिर हवा में कुछ उछला तो देखा कि कभी उल्लू उसे अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रहा है, शायद कुछ खाने की चीज थी, तो फिर चमगादड़, चील और न जाने कौन-कौन से जानवर एक दूसरे को टक्कर देते हुए, इधर से उधर हंगामा काटे हुए हैं, कभी एकदम सीटी सी तेज आवाज, कभी राकेट जैसी आवाज तो कभी जैसे जोर से किसी ने घंटा बजा दिया हो, तो कभी कोई चीख निकालकर डरा दे रहा है।

इसके बाद अचानक भूतों के सरदार ने फिर ताली बजाई, सारा कार्यक्रम रुक गया, अब सरदार ने सारे भूतों को अजीब सी भाषा में भाषण देना शुरू कर दिया, बीच-बीच में कुछ भूत अजीब सी आवाज निकालते, लड़की ने बताया कि ये उनकी सलाह का स्वागत कर रहे हैं। क्या कह रहे थे भूतों के सरदार, लड़की ने बताया कि भूतों के भी नियम हैं, कायदे हैं, अनुशासन हैं, परंपराएं हैं, जिन्हें तोड़ने पर कड़ी सजा है, भूतिया किले में जेल भी है और उन्हें कैसे दंड देते हैं, ये भी आप देख सकते हैं। इसके बाद एक बड़े से थाल में रखी एक बड़ी सी खोपड़ी, जिसमें कोई तरल पदार्थ था, सरदार के सामने लाई गई, उसे सरदार ने चखा और उसके बाद भूतों की पार्टी शुरू हुई..

 ऐसे-ऐसे भोजन कि आप भोजन करना ही छोड़ दें, बड़ी-बड़ी हड्डियां नुमा, जिन्हें भूत मजे से मुंडी हिलाते हुए चूसने में लगे हुए थे तो कई दांत गड़ा-गड़ा कर स्वाद का भरपूर मजे ले रहा था, मैं दाएं से बाएं सारे भूतों की हरकतों को देख रहा था तभी लड़की मुझे अलग ले गई, हवा में हाथ लहराया, टेबिल कुर्सी लग गई, उसी पर एक थाली, सुंदर सी, उसमें घर जैसा शानदार भोजन, मिष्ठान, दूध, फल...भोजन के बाद लड़की ने चलने का इशारा किया..अचानक ही फिर रूप बदला, अजीब सा आकार बना, उसकी पीठ पर सवार होकर हवा से बातें करने लगा, किले के ऊपर से निकलकर आसमान में तारों के पास जाते बड़ा ही अजीब, रोमांचक और डरावना सा लग रहा था। जैसे ही हवेली आई, शांति का अनुभव किया, चारपाई पर चादर उड़ाकर लड़की फिर हवा में गुम हो गई...आगे क्या होगा, भूतिया किले के और क्या रहस्य सामने आएंगे, भूतों की लाइफ के बारे में क्या-क्या पता चलेगा, कल का इंतजार करिए......ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com