Tuesday, July 28, 2015

भूत की कहानी का 34 वां दिन (ये काला साया कौन था?)

हवेली तो आ जाता हूं पर अब मेरा मन हवेली कम भूतिया किले में ज्यादा लगने लगा था, एक तो लड़की की बेचैनी और दूसरे उस किले के अजब-गजब रहस्य-रोमांच। आज रात फिर परेशान था कि यहां हवेली में सूनसान अकेले क्या करूंगा, कल रात भूतिया किले की पार्टी में बड़ा मजा आ रहा था। जितना मैं परेशान रहने लगा था, उतना ही वो लड़की या भूतनी भी, सोच ही रहा था कि हवा में कुछ सरसराहट सी सुनाई थी, देखा कि चारपाई के आगे लगे छोटे से पेड़ की पत्तियां और टहनियां हिल रही हैं और लगा कि कोई झांक रहा है, गौर से देखता रहा लेकिन बाद में लगा कि मैं भी उस लड़की के ख्यालों में हर वक्त यही सोचता रहा हूं कि वो हमारे आसपास ही है। फिर चादर तानकर लेट गया, सोने की कोशिश करने लगा कि मन था कि मानता नहीं।

तभी लगा कि कोई चादर सिर से खींच रहा था, धीरे-धीरे कर पूरा का पूरा चादर नीचे सरक गया। देखा कि चादर नीचे की तरफ पड़ा है, घबराकर चारों और देखा..कहीं ये लड़की की तो शरारत नहीं, लेकिन लड़की कहीं नहीं दिख रही थी। फिर लेट गया, कुछ ही देर हुई थी, आंखें झपक ही रही थी कि फिर लगा कि कोई चारपाई के नीचे से ऊपर की ओर धक्का सा दे रहा था, डर के मारे फिर उठकर बैठ गया, दूसरी तरफ देखा कि दादी आराम से सो रही हैं, चारों और कोई नहीं, यहां तक कि जुगनू तक नहीं चमक रहा, कोई पशु-पक्षी भी नजर नहीं आ रहा, ऊपर सिर उठाकर देखा तो अंधेरा ही अंधेरा छाया हुआ है, तभी लगा कि जहां पानी के घड़े रखे हैं वहां कुछ हलचल सी हो रही है, पहले लगा वहम है फिर गौर से देखा तो लगा कि शायद कोई है, धुंधली सी आकृति, कभी लगता कि गायब हो गई, कभी लगता नजर आ रही, बार-बार आंखें मलकर देखता रहा।

काफी देर की आंखमिचौनी के बाद जी कड़ा किया और पानी के घड़ों की ओर पहुंचा, देखा कि एक बड़ा सा काला साया लोटे से मजे से पानी पी रहा है, मेरी हालत खराब, आज लड़की की जगह ये काला साया कहां से आ गया. मैं जैसे ही पास में पहुंचा देखा कि काला साया, एक काले से शख्स में बदल गया, और हवेली से बाहर की ओर जाने लगा, बीच-बीच में पीछे मुड़ कर देख रहा था, मेरी समझ में ये रहस्य बिलकुल समझ में नहीं आ रहा था, आज तक उस लड़की के अलावा यहां कोई भूत नहीं आया, फिर ये काला साया कौन है, क्या ये वही लड़की है, या फिर कोई शख्स या फिर कोई और भूत, अचानक इतने दिनों बाद इस काले साये का मतलब क्या है, मैं सिकुड़ता हुआ, डरता हुआ, चारपाई की ओर आया, और मुंह तक चादर ओढ़ ली, लेकिन अंदर से कांप रहा था, दिमाग में तमाम बातें घुमड़ रही थी, ये नई आफत क्या है, कौन है, कहां से आई है, आगे क्या हुआ, कौन था ये साया या शख्स, कल का इंतजार करिए......ये भी पढ़िए..
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