Wednesday, July 29, 2015

भूत की कहानी का 35 वां दिन(काला साया कहां ले गया मुझे?)

ये काला साया नींद नहीं आने दे रहा था, चादर तान कर लेट तो गया लेकिन काला साया आंखों के सामने अब भी आ रहा था, जा रहा था, फिर से जैसे-जैसे नींद लगने को थी कि अचानक लगा कि कोई फिर से चारपाई हिला रहा है, धीरे से मुंह बाहर निकाला तो फिर से उस काले साये को देखकर जोर से चीख निकलने ही वाली थी कि उस काले साये ने मुंह बंद कर दिया और मुझे कंधे में टांगकर हवेली के बाहर तेजी से निकला, जैसे ही बाहर निकला तो उसने मुझे नीचे उतारा, मैं फिर से चीखने वाला था कि उसने न में सिर हिलाया और मुझे चुप रहने को कहा, इशारे से उसने समझाया कि वो उसका दुश्मन नहीं है, बल्कि उसे लेने आया है, बड़ी देर में समझ में आया कि वो उसी भूतिया किले का कोई भूत है, और उसे लड़की ने या भूतों के सरदार ने भेजा है, मुझे भूतिया किले में बुलाने के लिए वो आया है, समझ में नहीं आ रहा था क्या करूं क्या न करूं, इसका विरोध करने का भी कोई मतलब नहीं, पता नहीं क्या कर दे, फिर भूतिया किले में मुझे फिर से क्यों बुला लिया गया है, समझ में नहीं आ रहा था, तभी काले साये ने फिर से मुझे इशारा किया और पीठ पर लाद लिया।

उसने अपना आकार बड़ा किया और हवा में उड़ने लगा, उसके दोनों काले कपड़े जैसे हवाई जहाज के डैने बन गए हों, वो तो मजे से हवा में उड़ रहा था लेकिन मेरे मन में सवाल पर सवाल आ रहे थे, कहीं ये कोई और भूत तो नहीं, कोई मुझे अगवा तो नहीं कर ले जा रहा, लेकिन जैसे ही किले के ऊपर पहुंचा तो चैन की सांस ली, काला साया धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा, किले के बाहर जैसे ही उतरा, दो विशालकाय भूतों ने मेरे दोनों हाथ पकड़े, जब उस काले साये ने समझाया तो छोड़ दिया और आराम से मुझे अंदर ले गए, ये किला लगता है मुझे नहीं छोड़ेगा, ये सोच ही रहा था कि तभी देखता हूं कि किले के भीतर वो लड़की और भूतों के सरदार मौजूद हैं।
हैरान परेशान से, मैं भी हैरान-परेशान था कि आधी रात को फिर से भूतिया किले में बुलाना मुझे बिलकुल ठीक नहीं लग रहा था, घबराहट अलग हो रही थी, तभी भूतों के सरदार ने हाथ जोड़े, लड़की मुस्कराई और मेरे हाथ में एक अजीब सा खिलौना पकड़ा दिया, एक छोटा से नक्काशी दार डंडे में कुछ बाल जैसे, जैसे किसी को हवा करने के लिए होता है, या किसी को झाड़-फूंक के लिए..मैंने पूछा कि ये क्या है, तो बोले कि आप पहले इंसान हैं जो हमारे भूतिया किले के मेहमान थे और आगे भी रहेंगे, हम अपने अतिथि को उपहार देना भूल गए थे, ये आपका उपहार है.
मेरी समझ में नहीं आया कि ये भूतों का सरदार भी अजीब है, इतना परेशान करने के बाद एक अजीब सा खिलौना पकड़ा दिया। मेरे हावभाव देखकर सरदार मुस्कराया और लड़की भी, बोले, ये छोटी-मोटी चीज नहीं है, इसमें बड़ा ही चमत्कार है, इससे वो हो सकता है जो कोई नहीं कर सकता, क्या ये अलादीन का जादुई चिराग था या फिर कुछ और, ऐसा क्या था इस खिलौने में, आगे क्या हुआ, कल का इंतजार करिए....ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogpot.com  whatsappup.blogspot.com