Tuesday, March 17, 2015

भूत की कहानी का 15 वां दिन( लड़की कहां ले गई रात को? )

रात घिरती जा रही थी..लड़की को चारपाई पर देखकर अजीब सा महसूस हो रहा था...बगल में भाई लेटा हुआ था..समझ में नहीं आ रहा था कि लड़की रात को क्यों आ गई...कुछ बोलने को हुआ तो लड़की ने मुंह पर उंगली रखकर चुप करा दिया। तभी देखता हूं कि लड़की गायब..बगल में देखा तो चादर तान कर भाई लेटा हुआ है...थोड़ी देर में बगल से हरकत हुई..बगल के चादर से कोई हौले-हौले धकिया रहा था..मुझे रहा नहीं गया...चादर को जैसे ही उठाया..देखा..बगल में लड़की लेटी हुई है...लड़की तो लेटी ठीक है..पर ये समझ में नहीं आया कि भाई कहां चला गया..पता भी नहीं चला..और भाई गायब....ये लड़की तो न जाने क्या-क्या गुल खिलाएगी..फिर कुछ बोलने को हुआ तो उसने चुप रहने को कहा...और इशारे से चलने को बोलने लगी..मैंने मना किया तो लड़की ने हाथ पकड़ा और मुझे खींचना शुरू किया...थोड़ी देर में तो मैं खुद-ब-खुद उसके पीछे-पीछे चलने लगा था..दिल घबरा रहा था..आधी रात थी...बिलकुल अंधेरी..लड़की मुझे हवेली के खेत वाले गेट की ओर ले जा रही थी...बीच-बीच में जुगनू चमक रहे थे...मैं घबराया..हैरान-परेशान खिंचा चला जा रहा था..तभी देखता हूं कि अपने आप बगल वाला गेट खुला..सनसनाती तेज हवा का झौंका...लड़की गेट के बाहर..मैं भी उसके पीछे-पीछे...सूनसान रात में उस खेत का नजारा मैं पहली बार देख रहा था...देख क्या रहा था..चारों तरफ अंधियारा घिरा हुआ था...हवा चल रही है..पेड़-पौधे हिलते नजर आ रहे थे...और वो लड़की मुझे उसी समाधि के पीछे ले जा रही थी...


जैसे ही समाधि के पीछे पहुंचे..उसने मुझे बैठने का इशारा किया..मैं घबरा रहा था..बोली-घबराओ नहीं...क्या अंधेरे से डर लग रहा है...अभी उसका इंतजाम करती हूं..देखा कि बगल में अचानक रोशनी से चमकी...देखता हूं कि एक लालटेन टिमटिमा रही है..हल्की सी रोशनी से अब मैं उसे देख पा रहा था..खुद को भी देख रहा था...थोड़ी घबराहट कम हुई थी..लेकिन एक के बाद एक लड़की के कारनामे हैरान-परैशान कर रहे थे...
अब थोड़ी सांस आई थी..तो उससे पूछ ही लिया..इतनी रात में तुम मुझे यहां लेकर क्यों आई...बोली मन नहीं मान रहा था..तुम से और बातें करनी थी...आज की रात मैं और तुम ढेर सारी बातें करेंगे...तभी देखता हूं कि बगल में कुछ रेंग रहा है..मैंने पूछ लिया..ये तुम्हारेे आसपास सांप कहां से आ जाता है..तो बोली चिंता नहीं करो..ये हमारा बाडीगार्ड है..हमारी और तुम्हारी रक्षा के लिए है..कोई दुश्मन हमारे आसपास भी फटकेगा तो ये सतर्क कर देगा..ये कौन है..इस पर चुप हो गई..बोली..छोड़ो..उसकी बात बाद में करेंगे...पहले वो सुनो जिसके लिए मैं रात को तुम्हें परेशान कर रही हूं..बोली..मैं इसलिए परेशान थी कि तुम्हारे माता-पिता तुम्हें एक दिन बाद लेकर जाने वाले हैं..उसकी तैयारी हो रही है..मुझे समझ में नहीं आया कि इस लड़की को कहां से पता चला...मैंने उससे पूछा कि तुम्हें कैसे पता है..तो बोली...मैं तुम्हारे आसपास ही रहती हूं..मुझे तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की सारी बातें पता है...इतना कह कर बोली..आज दोपहर में ही बात हो रही थी..परसों सुबह की  बस से तुम्हें रवाना होना है..और मैं इसलिए परेशान हूं कि तुम अब नहीं जाओगे..तुम यहीं रहोगे..

मैंने कहा कि फिर मिलेंगे..मेरे स्कूल खुलने वाले हैं..मैं जहां पढ़ता हूं..जहां मेरा परिवार रहता है..वहीं रहूंगा..इस पर वो गुस्सा गई...बोली..देखते हैं..तुम कैसे जाते हो..मैंने कह दिया तो कह दिया..अब तुम्हें यहीं रहना है...और नहीं रहोगे..तो न तो तुम रह पाओगे..न मैं रह पाऊंगी...इतना कहते ही उसके आंसू टपकने लगे...माहौल गंभीर हो गया था..जैसे-तैसे मैंने मनाया तो बोली..वचन दो..कि तुम नहीं जाओगे..जब तक मैंने हामी नहीं भरी..वो मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थी...आखिरकार मैंने फैसला कर लिया..मैं भी भावुक हो चुका था उसकी बातें सुनकर..मैंने तय किया कि मैं अब यहीं रहूंगा...नौ साल की उम्र में बड़े लोगों जैसा फैसला..पता नहीं माता-पिता तैयार कैसे होंगे..और तो और दादी कैसे रहेंगी..ऐसे भयानक जंगल में..जहां रात काली-काली..टिमटिमाते जुगनू और लालटेन का सहारा..पूरा परिवार साथ नहीं होगा..लेकिन लड़की की बातें सुनकर..उसके रहस्य को जानने के लिए..उसकी हकीकत जानने के लिए मैंने मन पक्का कर लिया था...
जैसे ही मैंने हां की..मुस्कराई..और बोली..चलो वापस चलते हैं..जैसे आए थे..वैसे ही सुरक्षित हवेली के भीतर दाखिल हुए...इसके बाद मुझे पता नहीं...सुबह हुई..आंखें खोलीं..तो देखा..चादर ताने बगल में कोई लेटा हुआ है..मैं फिर डर के मारे कांपने लगा..लड़की फिर आकर सो गई है क्या..धीरे से चादर उठाई तो देखा कि भाई सोया हुआ है..मेरी समझ में नहीं आया...उसने फिर चादर तानी और बोला..आज तुम जल्दी उठ गए तो मुझे भी उठा दिया...मैंने उससे पूछ ही लिया..भाई..तुम रात को कहां गए थे..चारपाई पर तो थे..मुस्कराने लगा..बोला...तुम्हें आजकल बड़े सपने आ रहे हैं..मैं तो रात भर से यहीं सो रहा हूं..मैं आधी रात को कहां जाऊंगा...

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि रात को जो हुआ..वो केवल सपना था या फिर हकीकत...रात भर समाधि के पीछे की कहानी मेरे दिल में गूंज रही थी..लेकिन समझ नहीं पा रहा था कि मैं रात को यहीं था..या फिर समाधि के पीछे...अगले दिन क्या हुआ..क्या ये एक सपना था..या वाकई उस लड़की ने मुझे मनाया था...कल खुलासा होगा..क्या मैं उस गांव में ही रुकूंगा या फिर अपने परिवार के साथ चला जाऊंगा..मां-बाप क्या कहेंगे..मेरी जिंदगी किस ओर जाने वाली है..और उस लड़की के साथ आगे क्या होने वाला है.हालात चौंकाने वाले बनने वाले हैं....कल का इंतजार करिए...ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com