Saturday, March 14, 2015

भूत की कहानी का 13 वां दिन ( लड़की बोली-मैं हूं ना )

जी हां..खुलासा वो तो कल ही करने वाली थी लेकिन अचानक पलट गई..आज जैसे ही सुबह हुई..सूरज की किरणें..आंगन तक फैलती हुई चमक रही है..कहीं धूप थी तो कहीं छांव..ऊपर खुला आसमान..आंगन में बैठ पेड़-पौधों को निहार रहा था..तभी अचानक अटारी से सटी छत पर निगाह गई तो देखा कि लड़की सुबह-सुबह ही खड़ी है..मुस्करा रही है..हाथ से इशारा कर बुला रही है...मेरी समझ में नहीं आया कि ये नीचे से अटारी पर कैसे पहुंची और छत पर कैसे..लेकिन मैं भी मानने वाला नहीं था..चुपचाप मैं भी ऊपर की ओर गया..देखा कि लड़की छत की बाऊंड्री पर बैठी है..और आंखों ही आंखों से इशारा कर रही है...मैं पास में गया तो बोली..तुम भी ऊपर आ जाओ..मेरी बाऊंड्री पर बैठने की हिम्मत नहीं..दो मंजिला ऊपर से सीधे नीचे गिरा तो क्या हाल होगा..मैंने भी उससे बोला कि तुम ऊपर कैसे पहुंची..तुरत नीचे आ जाओ...हंसने लगी..बोली..कुछ नहीं होगा..ऊपर तो चढ़ो..मैं न में सिर हिला ही रहा था कि देखा कि धड़ाम से ऊपर बाऊंड्री पर जा बैठा..ऐसा लगा कि किसी ने नीचे से ताकत दी..चकराया सा मैं उससे पूछने वाला ही था कि बोली...बहुत सवाल करते हो..सब पता चल जाएगा...और ऊपर बैठो रहो..कुछ नहीं होगा..मैं हूं ना...


अब मैं मुद्दे पर आ गया..जो सवाल मेरे दिमाग में कई दिनों से घूम रहा था...और या तो मौका नहीं मिल रहा था या फिर मौका आने पर लड़की उड़नछू हो जाती थी...बिना वक्त गंवाए..मैंने पूछ लिया..सही-सही बताओ..तुम हो कौन..मेरे से तुम्हारा रिश्ता क्या है..तुम मुझे ही क्यों दिखाई देती हो..तुम मेरा क्यों पीछा कर रही हो..तुम रहती कहां हो...आज उसने जो बताया..मेरी समझ में नहीं आया..थोड़ी सी गंभीर हुई और बोली..लगता है तुम मुझे नहीं पहचान पा रहे हो..मेरा आपसे गहरा रिश्ता है..मैं यही रहती हूं..तुम्हारे ही आसपास..

अब फिर लड़की घुमा रही थी...मैंने फिर सवाल दागा कि मैं तो तुम्हें जानता ही नहीं..तुम जबर्दस्ती रिश्ता निकाल रही है..पहेलियां बना रही हो..और तुम्हें नहीं बताना तो मत बताओ...ये कह कर मैं रूठ कर बाऊंड्री से कूद कर जाने को हुआ..लेकिन लड़की ने हाथ पकड़ लिया...हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो देखा कि उसका हाथ मेरे से ज्यादा मजबूत..ऐसा जकड़ लिया..मानो फेवीकोल से चिपक गया हो..अजीब सा एहसास..ये छोटा सा हाथ..इतना मजबूत...सोच में ही था कि लड़की फिर मुस्कराई..बोली सुनोगे..कि मैं कौन हूं...तो बताती हूं..आपकी पत्नी हूं...और जोर-जोर से खिलखिलाने लगी..मुझे तो काटो खून नहीं...मैं नौ साल का बच्चा..ये सात-आठ साल की नन्ही सी बच्ची..मैं इसका पति कहां से हो गया..क्या शरारत कर रही है...बोली..नहीं विश्वास हो रहा..इसीलिए बताने से डर रही थी..लेकिन जब देखा कि तुम परेशान हो तो साफ कर रही हूं..क्योंकि अब मैं तुम्हें छोड़ने वाली नहीं...हमारा इतने सालों का रिश्ता है..अब तुम मिले हो..तो मैं तुम्हें खो नहीं सकती..मैं आपको सब बताऊंगी..कि मैं कैसे तुम्हारी पत्नी हूं...मैं कहां से आई हूं..कहां रहती हूं..



मुझे लगा कि लड़की वाकई मजाकिया है..साथ में रहस्यमय भी है...मैं उससे और सवाल करता कि नीचे से आई चिल्लाती आवाज से मैं बाऊंड्री से नीचे कूदा..गिरते-गिरते बचा..दादी नीचे से आवाज दे रही थी कि सुबह-सुबह देखो लड़का कहां टंग गया। तभी देखता हूं कि मैं तो कूदा..लेकिन लड़की अचानक गायब..मैं तो उससे नाम भी नहीं पूछ पाया था..और बातें भी नहीं कर पाया था..लग रहा था कि लड़की मुझे छेड़ रही है..लेकिन तभी देखता हूं..कि ये पतला सा सांप बाऊंड्री से रेंगता हुआ..चला जा रहा है...सांप दूसरे कोने तक गया और गायब..थोड़ी ही देर में देखा कि छोटी सी चिड़िया...आसमान की ओर उड़ती हुई..हवा में कहीं खो गई..ईश्वर की अजीब माया..सोचते-सोचते दादी के डर से नीचे उतर आया..लेकिन उस लड़की ने आज जो कहा..समझ में नहीं आ रहा था कि सच मानूं..या मजाक...आगे पता चलेगा..कि वाकई वो लड़की पत्नी थी या कुछ ओर..और वो कैसे साबित करेगी..रहस्य अभी बहुत बाकी है..हर दिन खुल रहे हैं पन्ने..कल क्या खुलासा होगा..कल का इंतजार करिए.......ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com