Friday, March 20, 2015

भूत की कहानी का 18 वां दिन ( इतने लंबे हाथ कभी नहीं देखे)

दोपहर बाद जब सोकर उठे तो देखता हूं कि बगल से दादी गायब हैं और वो लड़की मेरे बगल में लेटी हुई है..जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा... मुस्कराने लगी..बोली..अब हम हैं..तुम हो और दादी हैं...चलो चलकर खेलते हैं..इतना कह कर उठी ओर चलने लगी...आसपास देखा तो दादी कहीं दिखाई नहीं दी..हवेली इतनी बड़ी है कि पता नहीं किस कोठरी में गई हों..मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा तो देखता हूं कि वो अटारी की ओर चलने लगी..जैसे ही एक कदम सीढ़ियों पर रखा..लड़की उछलकर ऊपर आखिरी सीढ़ी पर खड़ी है..और इशारे से बुला रही है..
अटारी से होकर बगल की छत पर पहुंचे..तो कोने में बैठ गई..और बोली...तुम्हें नहीं मालूम होगा..हम तुम पहले एक साथ यहीं पर रहे हैं..इसी छत पर हम लेटते थे..अचानक उसके पैरों पर निगाह गई तो देखता हूं..कि पैर उलटे मुड़े हुए हैं..देखकर घबरा सा गया..पैरों की ओर इशारा किया तो बोली..डरो मत...भूतों के उलटे पैर ही होते हैं...ये भूतों की पक्की निशानी है...इतना कह कर बोली..मैं बताती हूं..हमारे और आपके पिछले जन्म की दास्तान...आप इसी हवेली में रहते थे...और मैं पास के गांव से विवाह के बाद यहां हवेली में आई थी...एक साल ही हम लोग रहे..और उसके बाद आपकी और हमारी मौत हो गई..ये मौत कैसे हुई..बोली..सब बताऊंगी...लेकिन अभी इतना सुनो..कि अब हर पल हमारा-तुम्हारा साथ है..दिन हो या रात..सुबह हो या शाम..मैं दिखाई दूं या नहीं...आपके आसपास हमारा साया रहेगा...वो कुछ और कहती कि इसके पहले..दादी की आवाज गूंजी..वो मुझे खोज रही थीं...तभी देखता हूं कि उस लड़की ने मुझे दोनों हाथों से उठाया..और छत से नीचे हवा में लटका दिया..मुझे लगा कि आज मेरी जिंदगी का आखिरी दिन है..कहां मैं इसके चक्कर में पड़ गया..तभी देखता हूं कि मैं हवा में लहराते हुए नीचे की ओर जा रहा हूं...और उस लड़की के दोनों हाथ..हौले-हौले लंबे होते चले जा रहे हैं...


करीब दो मंजिल ऊपर छत...और उस छत से हवा में लटका हुआ...देखता हूं कि दोनों हाथ बांस की तरह लंबे होते चले जा रहे हैं..एक मंजिला पार किया..मुझे लगा कि अब गिरा..तभी देखता हूं कि हाथ लगातार लंबे हो रहे हैं....और उन हाथों की गिरफ्त लगातार बनी हुई है...जैसे ही मैं नीचे पहुंचा तो होश खो चुका था...इतने लंबे हाथ..कम से कम 20 से 25 फुट लंबे हाथ..नीचे से ऊपर तक..मुझे लड़की दिखाई नहीं दे रही थी..केवल वो लंबे हाथ बांस जैसे ऊपर से नीचे तक....जैसे ही नीचे जमीन पर पैर पहुंचे..धम्म से मैं थोड़ा लड़खड़ाया..और सीधा तन के खड़ा हो गया..चेहरे पर पसीना झलक आया था...आंखें ऊपर छत की ओर देख रहीं थीं...देखता हूं..कि हाथ धीरे-धीरे ऊपर जा रहे हैं..और छोटे होते चले जा रहे हैं....जैसे ही हाथ गायब हुए...देखता हूं लड़की ऊपर से झांक रही है...और बाय-बाय का इशारा कर हाथ हिला रही हैं..
पीछे दादी खड़ी हैं..बोली..अरे कहां थे..कब सोकर उठे...और ऊपर की ओर क्या देख रहे हो...

मैं बुरी तरह सकपकाया हुआ था..समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं...कभी छत की ओर देखूं..कभी दादी की ओर..फिर संभल कर बोला..ऊपर कोई दिखा था..बोली..बेटा कोई पक्षी होगा या बिल्ली होगी...चिंता नहीं करो..यहां कुछ न कुछ पशु-पक्षी..कीड़े-मकोड़े दिखते रहते हैं...धीरे-धीरे आदत पड़ जाएगी...दिल की धड़कन थोड़ी सामान्य हुई तो दादी अपने साथ आंगन में ले गईं...मेरी आंखों के आगे अब भी लंबे-लंबे हाथ झूल रहे थे..बाप रे बाप..इतने लंबे हाथ..ये लड़की तो वाकई रहस्यमयी है...शाम हुई तो दादी के साथ तख्त पर लेट गया...चिपक कर..बीच-बीच में कोई आवाज गूंजती तो मैं हड़बड़ा जाता..दादी अपने से चिपका लेती..बेटा पहला दिन हैं..जो आवाज आ रही है..वो बिल्ली की है..मुझे पता नहीं क्यों...बार-बार लग रहा था कि ये बिल्ली की डरावनी आवाज नहीं बल्कि उस लड़की की है जो बुला रही है...पर दादी मुझे ऐसे चिपकाकर लेटी थीं..और डर के मारे मेरा बुरा हाल था..इसलिए हिम्मत नहीं जुटा पाया..और फिर....सुबह क्या हुआ...कल मुझे स्कूल जाना है..दाखिले के लिए...कल क्या होगा...उस लड़की की कहानी कितनी आगे बढ़ेगी..क्या और रहस्य खोलेगी वो...कल का इतंजार करिए.......ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com