Saturday, March 21, 2015

भूत की कहानी का 19 वां दिन (लड़की किसी में भी समा जाती है)

जैसे ही सुबह हुई..दादी ने जल्दी ही जगा दिया और स्कूल जाने के लिए तैयार होने को कहा..स्कूल के लिए रवाना हुए तो देखता हूं..कि लड़की पहले से ही गेट पर तैयार खड़ी हुई है..मानो इसे भी स्कूल जाना हो..गौर से उसके पैर देखे तो हवा खराब...पैर उलटे हैं..और उलटे पैरों से ही आगे बढ़ रही है..मेरे साथ ही कदम से कदम मिलाते हुए..
करीब आधा किलोमीटर दूरी पर सरकारी प्राइमरी स्कूल..कक्षा पाचवीं तक..मुझे चौथी क्लास में एडमीशन लेना था...स्कूल के हेड मास्टर के पास पहुंचा दादी के साथ...परिचय कराया..आपको हैरानी होगी..कक्षा-तीन में कानपुर जैसे बड़े शहर में कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा..कक्षा-चार में बानपुर जैसे छोटे से गांव में सरकारी स्कूल में एडमीशन के लिए पहुंचा था...हेड मास्टर के लिए तो मानो खुशनसीबी थी कि इतने बड़े शहर..इतने ऊंचे स्कूल से उनके यहां आया था..करीब आधा घंटे की औपचारिकता के बाद एडमीशन हो गया...तो देखता हूं कि लड़की आसपास ही मंडरा रही है..कभी दिखती..कभी गायब हो जाती..आंखमिचौनी यहां भी जारी थी....

एडमीशन के बाद हेडमास्टर.. टीचर के पास ले गए...स्कूल में दो टीचर पांच कक्षाओं को पढ़ाने वाले..कक्षा-चौथी और पाचवीं के एक ही टीचर..शुक्ला जी..उनके पास मुझे ले जाया गया.स्टूडेंट का नाम- अमिताभ श्रीवास्तव...कक्षा-चार...स्कूल क्या...दो कमरे..और बाकी मैदान या परिसर कह लो...टाट-पट्टी पर बच्चे बैठे हुए..लड़के-लड़कियां..उनमें से ज्यादातर गांव के बच्चे...कैसी हालत..मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़की के चक्कर में कहां फंस गया...फिर भी हिम्मत हारने वाला नहीं था..टीचर ने कहा कि बैठ जाओ..मन लगाकर पढ़ाई करना..दादी ने पिता जी का नाम बताया तो समझ गए कि मैं किसका बेटा हूं..किस परिवार से हूं..घर जैसा माहौल...प्रतिष्ठा यहां भरपूर मिल रही थी...

मास्टर जी बोले..दादी से...आप जाईये..अब ये हमारे हवाले हैं..दादी समझा-बुझा कर चलती बनीं..और मैं टाट पट्टी पर बैठ गया..देखता हूं कि बगल में एक छोटी सी लड़की बैठी हुई..अचानक ही दोबारा देखता हूं कि बगल में वो अनजान लड़की गायब..और हमारी वाली लड़की बैठी मुस्करा रही है...दूसरी ओर नजर दौड़ाई तो दूसरी लड़की बैठी..लेकिन फिर पलक झपकी..और वही लड़की इस और भी बैठी हुई है..ये मैं पहली बार देख रहा था कि दोनों ओर वही लड़की कैसे बैठी हुई है..कभी इधर दिखती..कभी उधर दिखती..कभी दोनों ओर दिखती...
जैसे-तैसे स्कूल की छुट्टी हुई तो स्कूल से बाहर निकला..मास्टर जी ने बोला-चले जाओगे कि किसी को भेजूं..मैंने कहा कि चला जाऊंगा..तो बोले ठीक है..स्कूल के गेट से निकला..तो वही लड़की साथ में...बोली..और कैसा रहा स्कूल..मुझे भी स्कूल अच्छा लगा..तीस साल पहले स्कूल में पढ़ाई की थी..मजा आ गया..मैं भी तुम्हारे साथ रोज आया करूंगी..घर पर भी साथ में पढ़ाई करूंगी..हवेली तक हम लोग बातें करते आए..आज पहली बार था कि लड़की गेट के भीतर भी साथ आ गई..मैं उससे बात कर रहा था..तभी दादी ने देखा तो बोले..किससे बड़बड़ा रहे हो..मैंने बगल की ओर इशारा किया तो लड़की गायब..मैंने बहाना बनाया..नहीं मास्टर जी ने पहाड़ा बताया था..याद कर रहा हूं...

दोपहर में देखता हूं कि हमारे खेत पर काम करने वाले नौकर की बेटी आई..बेटी क्या युवती थी...दादी ने उसे कुछ काम बताया..वो काम में जुट गई..तो देखता हूं कि मुझे गौर से देख रही है..मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये मुझे क्यों घूर रही है..वो इशारे से हवेली के एक किनारे ले गई..देखता हूं कि उस लड़की के चारों और अचानक धुआं उठा...वो धुआं छटा तो वही लड़की..बोली चिंता मत करो..अब जो भी आएगा यहां मैं उसमें समा जाऊंगी..अब तो 24 घंटे यही रहूंगी..हां हमारी यानि भूतों की भी दुनिया है..वहां भी कभी-कभी जाना पड़ेगा..जब जाऊंगी तो बता दूंगी..चिंता मत करना..फिर लौट आऊंगी..वो इसलिए क्योंकि भूतों की दुनिया से गायब होना आसान नहीं..अगर भूतों के बास..को पता चला तो दो-चार भूत हमारे पीछे छोड़ देगा..इसलिए उसे ये नहीं बताया है कि मैं यहां आपके साथ हूं..इतना कह कर फिर धुआं उठा..देखता हूं..कि नौकर की लड़की अपने काम में जुटी हुई..मैंने पूछा कि अभी तुम कहां थी..बोली मैं कहां गई थीं...मैं तो यही तबसे काम कर रही हूं..

कुल मिलाकर अब मेरी नई जिंदगी की शुरूआत हो चुकी थी..उस लड़की के साथ...आज रात कैसे बीतेगी..कहां तक कहानी आगे बढ़ाएगी..लड़की के और क्या रहस्य पता चलेंगे..कल का इंतजार करिए....ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com