Thursday, July 30, 2015

भूत की कहानी का 37 वां दिन( काला साया कैसे बना था भूत?)

भूतों के सरदार ने जो रहस्य खोला उससे तो मेरे होश ही उड़ गए, कि ये कोई खिलौना नहीं, ये तो अदभुत करामाती चीज है जिसकी बदौलत मैं किसी भी भूत को असली रूप में देख सकता हूं, और ये भी पता लगा सकता हूं कि वो वाकई भूत है या फिर कोई भ्रम है। इससे मेरी सुरक्षा भी हो सकेगी और इससे मैं भूतों की हकीकत जान पाऊंगा। अब मेरा गुस्सा दूर हो चुका था, बल्कि मन ही मन खुश था।



भूतों के सरदार ने इशारा किया और काला साया मुझे लेकर फिर उड़ा हवेली की ओर, जैसे ही काले साया ने मुझे हवेली के बाहर नीचे उतारा, आधी रात के घुप्प अंधेरे में मुझे उस गिफ्ट की असलियत जानने के लिए शरारत सूझी और मैंने जैसे ही उस काले साये के सामने ऊपर नीचे एक बार हवा में लहराया, देखकर मेरा होश उड़ गया।
एक दुबला पतला आदमी, सामान्य कद काठी का, उम्र कोई होगी 30  साल, जवान सा ही था, सफेद शर्ट और काली पेंट में खड़ा है, मेरी समझ में नहीं आया कि ये शख्स कहां से आया, अभी तो काला साया था, फिर मैंने दोबारा से उस डंडे को ऊपर से नीचे फेरा, देखता हूं कि वाकई वो काला साया ही है। अब मुझे कौतूहल हो रहा था, एक बार फिर से काले साये पर डंडा ऊपर से नीचे फेरा, देखता हूं कि वही दुबला-पतला आदमी, फिर डरा सहमा से मेरे सामने खड़ा है।

मैं आश्चर्य से खड़ा उस युवक को देख रहा था कि तभी बोला, हां मैं भूत हूं, और असलियत में जिस वक्त मैं मरा, तो ऐसा ही था, नौजवान, कहां तुम्हारी मौत हुई, कैसे हुई, कब हुई, तमाम सवाल मेरे मन में घुमड़ रहे थे, हवेली के दरवाजे पर बैठकर हम विस्तार से बात करने लगे। कानपुर का रहने वाला ये शख्स सुरेश था, उसके पिता बिजनेस करते थे, पिता के ही बिजनेस में काम बंटा रहा था कि पड़ोस में रहने वाली एक युवती से उसे प्यार हो गया, बहुत चाहता था उसे, वो लड़की भी बहुत चाहती थी, लेकिन उसके पिता की हैसियत हमसे ज्यादा थी, ऊपर से जाति का चक्कर, जब हम दोनों नहीं माने तो, एक दिन...ये कहते-कहते रूआंसा हो गया, मैं अपने बिजनेस के लिए लखनऊ गया हुआ था, वहीं एक गाड़ी ने आकर कुचल दिया, कुचल क्या दिया, लड़की के पिता ने कुचलवा दिया। घर वाले अब भी यही समझते हैं कि मेरी मौत एक्सीडेंट में हुई है लेकिन मुझे मरवा दिया गया।
वो आज भी उस लड़की के घर पर जाता है, उसके पिता को परेशान करता है जबकि लड़की झांसी में अपने ससुराल में है, उसकी शादी कर दी गई, दो प्यारे बच्चे भी हैं, लेकिन उसके पिता को मैंने बर्बाद कर दिया है, मुझे पांच साल हुए मौत के..भूतों के सरदार की परमीशन से मैं जाता हूं और उसका इतना नुकसान कर आता हूं कि लगातार गर्त में ही चला जाए, आज उसकी ये हालत है कि कोई भी उसका साथ नहीं देता, कर्जा चढ़ गया है, वो और उसकी पत्नी अपने बचे-खुचे दिन काट रहे हैं, मैं चाहूं तो उन्हें भी मरवा दूं लेकिन तड़प-तड़प के मरेंगे तो मुझे ज्यादा सुकून मिलेगा। काले साये की स्टोरी सुनकर मैं भी गमगीन हो गया। काला साया बोला, मुझे लौटने दो, भूतिया किले के लिए और आज से तुम मेरे दोस्त, जैसे उस लड़की के हो, मैं तुम्हारी हमेशा मदद करूंगा, अच्छे लोगों का साथ देने में पीछे नहीं रहता हूं, मैंने फिर से डंडा ऊपर से नीचे फेरा, काला साया सामने था, थोड़ी ही देर में हवा से बातें कर रहा था, लेकिन इस भूत की कहानी सुनकर मैं भी परेशान हो गया, भूतिया किले में इतने भूत हैं सबकी अपनी-अपनी कहानी होगी, आगे भूतों की दुनिया के क्या और रहस्य खुलेंगे, कल का इंतजार करिए.....
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