Thursday, August 6, 2015

भूत की कहानी का 41 वां दिन(नन्ही भूतनी का परिवार मिला या नहीं?)


इस छोटी सी भूतनी के रूप-रंग देखकर हैरान था, कभी इतनी सुंदर, कभी इतनी खतरनाक..इसके बारे में जानने की इच्छा जाग उठी थी, जैसे-तैसे बच्ची ने अपनी हरकतें बंद की, और जब शांति से मुस्कराने लगी तो मैंने भूतनी से उसके बारे में पूछा..जो कहानी सुनी तो दिल दहलाने वाली थी, ये बच्ची ट्रेन एक्सीडेंट की शिकार हुई, जिसमें एक बोगी के तो सारे लोग मारे गए थे, जैसा इस बच्ची यानि भूतनी ने बताया कि गर्मियों की छुट्टियों में पूरा परिवार घूमने के लिए केरल जा रहा था, रहने वाले ये थे महाराष्ट्र के..बीच में ट्रेन हादसे में पूरा का पूरा परिवार काल के गाल में समा गया, और भी यात्री मारे गए।


ये बच्ची भी मरने के बाद भूतनी बनी, कहां जाती, जहां हादसा हुआ था, वहीं मंडरा रही थी तभी एक महिला ने उसे देखा..उसे अपने साथ एक पेड़ के नीचे ले गई, वो महिला भी अकेली थी, दरअसल वो महिला नहीं भूतनी ही थी, जो कभी उसी जगह मारी गई थी, और वहीं पास के पेड़ के पास रहती थी, और अपने परिवार की तलाश में भटक रही थी,  उसका भी पूरा परिवार खत्म हो चुका था, कौन कहां गया पता नहीं चला, जरूरी नहीं कि हर शख्स भूत ही बने, कोई जानवर भी बन सकता है या फिर से मनुष्य, बुजुर्ग भूतनी बोलती जा रही थी, मैं एक टक सुनता जा रहा था..ये महिला भी अपने परिवार को तलाश रही थी और इस नन्ही सी भूतनी को भी अपने परिवार की तलाश थी, दूसरे भूतों के साथ यहां वहां भटकते हुए..ये दोनों इस भूतिया किले में आए हैं, इसका परिवार मिला या नहीं ये कल बताएंगे...
 इतना बता दें कि जबसे ये बच्ची भूतनी आई है, पूरे भूतिया किले का नजारा ही बदल गया है..दरअसल उम्र के लिहाज से अभी ये ना समझ है इसलिए भूतिया शक्ति का कितना उपयोग करना है कितना नहीं, ये इसे ठीक से नहीं मालूम..कभी जरूरत से ज्यादा गुस्सा हो जाती है तो इसे काबू में करना मुश्किल हो जाता है, कभी-कभी तो यहां के भूतिया गार्डस तक को चकमा दे देती है, कभी उन्हें गुस्सा आता है और कभी हंसी भी आती है, एक दिन तो पूरे भूतिया किले में ऊपर से नीचे आने को तैयार नहीं थी, हवा में लटकती हुई..इधर से उधर सबको परेशान करती रही, बमुश्किल लालच देकर इसे नीचे लाना पड़ा..
बुजुर्ग भूतनी को उसे दादी जैसा प्यार मिलता है, इसलिए सबसे ज्यादा उनकी ही बात मानती है। शुरू-शुरू मैं तो इसने भारी परेशान कर रहा था..कभी भूतिया किले से बाहर भाग जाती..तो सारे भूतों को गांव में भेजना पड़ता..पता चला कि किसी के घर में बैठी किसी गुड़िया के शरीर में ही समा गई है और मजे से खाना-पीना और खेल चल रहा है..एक परिवार तो इसे पसंद आ गया कि पूछो मत..उस घर में ये कई बार गई..घरवाले परेशान हो गए..कि उनकी बच्ची को क्या हो गया?...भूतिया किले में आई तो भूतों के सरदार से टीवी की मांग करने लगी..बोली कार्टून देखना है...भूतों के सरदार ने भूतों का कार्टून चैनल live दिखाने का इंतजाम किया..इसके किस्से अनगिनत हैं..कभी हंसाने वाले..कभी रुलाने वाले...क्या इस भूतनी का परिवार मिला...या नहीं..उस महिला का क्या हुआ..जो इस बच्ची को लेकर आई थी..कल का इंतजार करिए.......इन्हें भी जरूर पढ़िए....