Wednesday, August 5, 2015

भूत की कहानी का 40वां दिन (ये नन्ही भूतनी तो निगल ही जाती)

बुजुर्ग भूतनी से बात चल ही रही थी कि अचानक एक प्यारी सी..दुलारी सी बच्ची उस बुजुर्ग भूतनी के पास आ पहुंची, मैं चौंक उठा, इतनी छोटी भूतनी भी यहां है, ये बच्ची बजरंगी भाई जान की बच्ची से कम खूबसूरत नहीं थी, लेकिन गौर से देखा तो डर गया, अचानक उसने मुझे देखकर चेहरा बदल लिया, इतनी खूंखार दिखने लगी कि आप कल्पना कर नहीं सकते...अचानक से मुंह से बड़े-बड़े दांत बाहर निकलने लगे, कानों से धुआं निकलने लगा..हाथ और पैरों में 10-10 उंगलियां नजर आने लगी..उनमें भी बड़े-बड़े नाखून..हाथ उसके शरीर से कहीं लंबे होने लगे, लगा कि मेरे गले में कसने ही वाले हैं, मुंह से फुंफकार निकलती देख..मैं तो उस बुजुर्ग भूतनी के पीछे भागा, तो बुजुर्ग भूतनी ने मुझे पीछे छिपाया और उस नन्हीं सी भूतनी को शांत किया।


ये भी अजीब मंजर था, उसके हाथ वापस वैसे ही छोटे होते गए, नाखून गायब हो गए, दस से पांच उंगलियां हो गईं..दांत भीतर चले गए, मुंह शांत हो गया, कुछ ही पलों में फिर वो प्यारी सी गुड़िया बन गई...मैं आश्चर्यचकित था, ये सब क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, अचानक उसने मुझे देखते ही ये रूप धारण क्यों किया, अगर बुजुर्ग भूतनी के पीछे नहीं छिपता तो उसका तो एक नाखून ही काफी था, मेरा क्या हाल होता, अब भी मैं सामान्य नहीं हो पाया, थोड़ी ही देर में वो नन्हीं सी भूतनी शांत हो गई, बिलकुल शांत..चुपचाप, और मेरी और फिर देखने लगी..लेकिन मुझे गुस्सा आ रहा था..डर भी रहा था..ये कौन है..क्यों इस तरह मुझे डरा रही है..

बुजुर्ग भूतनी ने उसे इशारा किया..तो वो मुस्कराने लगी..दरअसल वो इंसान को देखकर डर गई..भूतिया किले में ये इंसान कैसा...ये नन्ही सी भूतनी पांच साल की होगी..और अभी एक महीने पहले ही यहां आई है,ये भी हादसे में मारी गई थी..बुजुर्ग भूतनी उसका किस्सा सुनाती जा रही थी, मैं सुनता जा रहा था..ये हमारे भूतिया किले की सबसे प्यारी भूतनी है, सारे भूत इसे देखकर खुश होते हैं...शुरू-शुरू में तो बड़ी परेशान रहती थी..अब भी कुछ अनहोनी देखकर गुस्से में आ जाती है..धीरे-धीरे कर भूतों की दुनिया में रमती जा रही है...जब बुजुर्ग भूतनी ने उसे भरोसे में लिया तो मुझे देखकर मुस्कराने लगी...मेरी वाली लड़की की तरह...और मुझे छूकर देखने लगी..तभी मैं क्या देखता हूं..फिर उस लड़की का रंग बदलने लगा..फिर उसके हाथ पर बाल उगना शुरू हो गए..मुंह से लंबे नुकीले दांत निकलने लगे...आंखों में अजीब सी चमक पैदा हो गई...उसका न केवल आकार बदल रहा था..बल्कि डरावनी भी होती जा रही है..उसकी एक हाथ की उंगलियां मेरे हाथ पर थी और नाखून बस चुभने को था..मैं डर के मारे फिर बुजुर्ग भूतनी के पीछे भागा..तो देखा..कि फिर वो बदलने लगी..फिर से सामान्य सी गुड़िया..और जोर-जोर से हंसते हुए ताली बजाने लगी....दरअसल पहले वह खुद डरी थी..और अब वो मुझे डरा रही थी....

अब भी मुझे डर लग रहा था..आखिर ये भूतनी कहां से आई..क्या ये अकेली है...कैसे इसकी मौत हुई..कैसे बनी भूतनी..कैसे ये इस भूतिया किले में आई...कल तक का इंतजार करिए.........इन्हें भी जरूर पढ़िए....