Saturday, August 8, 2015

भूत की कहानी का 43 वां दिन( भूतिया किले में कौन खोद रहा था गडढा?)

बहुत देर हो चुकी थी, भूतिया किले से अब मुझे निकलना जरूरी था...नहीं तो दादी इंतजार कर परेशान हो सकती है..ये याद आते ही मैंने लड़की से जाने की गुजारिश की और चल दिया किले के दरवाजे की ओर..हैरानी की बात ये हुई कि निकल ही रहा था..कि एक जगह मुझे आवाज सुनाई दी..देखा कुछ और इंसान किले के भीतर हैं..जहां अंधेरा सा पसरा हुआ है....देखता हूं कि चार लोग किले में गहरा गडढा खोद रहे हैं...मुंह पर कपड़ा बांधे हुए हैं..डर लगने लगा कि अचानक किले में ये इंसान कैसे आ गए...


एक शख्स ने मुझे देख ही लिया..वो भी मुझ जैसे छोटे से लड़के को अकेले किले में देखकर चौंक उठा..उसने साथियों को बताया और मुझे इशारे से अपने पास बुलाया..लड़की मुस्कराई और बोली चलो..डरो मत..पास पहुंचा तो पूछने लगे कि यहां कैसे आए हो? किसके साथ आए हो..कौन हो...मैंने दादी का नाम बताया और कहा कि मैं यहां अपने साथ इस लड़की के साथ आया हूं, उन्होंने मेरे बगल में देखा और कहा कि उन्हें तो कोई दिखाई नहीं दे रहा..कौन लड़की तुम्हारे साथ है? जबकि लड़की मेरे बगल में ही खड़ी हुई थी, मैंने बताया कि वो लड़की भूतनी है..इतना कहना था कि उन लोगों के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं..उन्हें वो लड़की तो नजर नहीं आ रही थी..जबकि लड़की मेरे बगल में खड़ी मुस्करा रही थी..लेकिन वे लोग मुझे जरूर भूत समझने लगे और सरपट किले के बाहर की ओर सरपट भागने लगे..तभी देखा कि लड़की मजे ले रही है..सबकी टांगों में पैर मारकर गिरा दिया..अब तो उन भूतों की हालत खराब और मुझे ही भूत मानकर हांफते-हांफते..गिरते उठते किले के बाहर भागे...मेरी समझ में नहीं आया कि ये लोग किले में क्या कर रहे थे..तब लड़की ने बताया कि गांव में ये अफवाह फैली रहती है कि यहां खजाना दबा है और उसी की खोज में ये लोग हिम्मत कर पहुंचे थे..लेकिन जैसे ही किसी भूत की नजर पड़ती है..इन्हें परेशान कर भगा देते हैं..इसलिए महीनों कोई हिम्मत नहीं करता..अब ये भी कभी किले का रुख नहीं करेंगे। वो तो गनीमत है यदि कोई भूत इनके साथ चिपककर चला गया और इनका क्या... पूरे परिवार की हालत खराब हो जाएगी।
इसके बाद मैं भी किले से बाहर निकला और चल पड़ा अपनी हवेली की ओर...रास्ते में लड़की साथ चल रही थी..जैसे ही कोई इंसान दिखता..लड़की रूप बदल लेती..कभी मेरी दादी जैसी नजर आने लगती..तो कभी कुत्ता बनकर चलने लगती..कभी सांप मेरे बगल में लहराने लगता...हवेली के आधे रास्ते में ही था कि अचानक..लड़की ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सामने आने वाले शख्स की ओर इशारा किया..मेरे से थोड़ा बड़ा लड़का सा होगा...अकेला चला आ रहा था..मुझे भी लगा कि ये लड़का अजीब सी निगाहों से मुझे घूर रहा है...ये अकेला यहां क्या कर रहा है?...कौन है ये लड़का?..आखिर लड़की ने उस लड़के की ओर इशारा क्यों किया..क्या गुल खिलाएगा ये लड़का?...कल तक इंतजार करिए...
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