Thursday, August 20, 2015

भूत की कहानी का 54 वां दिन (रोने और हंसने की आवाज किसकी थीं?)

हवेली का दरवाजा लगातार कोई खटखटाए जा रहा था और मैं बैठा-बैठा सिकुड़ता जा रहा था..क्या भूत मेरा पीछा करते-करते हवेली तक आ गया..कौन है ये..अब क्या होगा...तभी दादी गेट खोलकर आईं और एक शख्स लालटेन लिए मेरे पास तक आ पहुंचा..अरे ये तो वही रामू है जो समाधि के पास कल लेटा हुआ था..तो क्या यही लालटेन लेकर चला आ रहा था..पूछने पर बताया कि वो कुछ जानवरों को भगाने के लिए गया था और वहीं से लौट रहा है..अब मेरे जान में जान आई..साथ में ये समझ में भी आया कि फालतू का भ्रम पालने से आदमी क्या-क्या सोच लेता है..लेकिन समाधि का रहस्य जानना मेरे लिए जरूरी हो गया था..मन वहीं अटका हुआ था..

अगले दिन रविवार था..स्कूल की छुट्टी थी..और मैं फिर कुएं की तरफ निकल गया..समाधि के पास बेधड़क पहुंच गया..मुझे लग रहा था कि कुछ नहीं है..यही भ्रम है जो लोगों को हो जाता है और भूत के नाम पर डर जाते हैं लेकिन भूत तो होते हैं..ये मैं अच्छी तरह जानता था..समाधि के पास पहुंचा..बिलकुल सन्नाटा..पास मैं ही नीचे गिरे पत्तों में सरसराहट हुई..देखता हूं कि कोई पत्तों से बाहर निकलना चाह रहा है..पास में पहुंचा तो देखा कि कोई जानवर है...और जैसे ही मेरे पहुंचने की हलचल हुई..काली बिल्ली सरपट पत्तों से निकलकर भागी..एक पल फिर दिल धड़कने लगा..लेकिन फिर जैसे ही बिल्ली निकल कर भाग गई..मन कुछ शांत हुआ...काफी देर तक समाधि के आसपास चक्कर काटे..लेकिन कोई आवाज नहीं..न ही कोई ऐसी चीज नजर आई..जिससे भूत का अंदेशा हो...लौटने लगा कि तभी लगा कि समाधि के पास से कुछ आवाज तो आ रही है...आवाज बहुत धीमी थी...कान लगाकर सुनने लगा..कुछ-कुछ रोने जैसी आवाज..कभी-कभी ह्रदयविदारक सी आवाज लगी..जैसे कोई परेशान हो..समाधि की ओर लौटा तो आवाज शांत..आसपास कान लगा कर सुनना चाहा..लेकिन काफी देर तक कोई आवाज नहीं...
फिर जैसे ही वापस चला..तो फिर आवाज सुनाई देनी लगी..ऐसा लगा कि इस बाहर जोर-जोर से कोई हंस रहा है..लेकिन ये आवाज कोई और थी..पहले वाली आवाज कुछ और..यानि दो तरह की आवाजें...तो कौन रो रहा है..और क्यों रो रहा है..और कोई हंस रहा है तो क्यों हंस रहा है..बड़ा ही अजीब सा रहस्य...अलग-अलग आवाजें कौन निकाल रहा है....अब मैं फिर समाधि की ओर लौटा..कान लगाकर चुपचाप बैठ गया...कुछ देर तक तो शांति रही..लेकिन फिर ध्यान से सुना तो लगा कि आवाज तो आ रही है...गौर से सुना तो लगा कि रोने की आवाज बच्चे जैसी है..और जो हंस रहा है वो कोई बड़ा शख्स है..यानि दो लोगों की आवाजें इसके भीतर से आ रही हैं....
तभी लगा कि समाधि के बगल से मिट्टी में कुछ हलचल हो रही है..ठीक समाधि के एक कौने से...ये मिट्टी को कौन अलग कर रहा है...अब तक डर के मारे मेरा बुरा हाल चुका है..क्या वाकई इस समाधि के भीतर कोई है..कौन हो सकता है..क्या दो लोग इसके भीतर हैं..अंदर चल क्या रहा है..या फिर ये कोई वहम है लेकिन जैसे ही मिट्टी उखड़ना शुरू हुई..डर के मारे मैं सरपट भागा....और भागता ही रहा...लेकिन ये आवाजें मेरे कानों में लगातार गूंज रही थीं..और इतनी साफ थी कि हवेली के भीतर घुसने तक कान बजते रहे..काफी देर बाद दिल की धड़कनें सामान्य हुईं...तो क्या है समाधि का रहस्य..कौन है इसके भीतर..कल का इंतजार करिए........
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