Sunday, September 13, 2015

भूत की कहानी का 72 वां दिन(दो भूतों को परेशान करता तीसरा भूत)

पुजारी जी ने दोनों की बात सुनकर कहा कि अब वो बताए..कि क्या चाहता है..इस पर नौजवान बोला..हम दोनों यहां सालों से रह रहे हैं और जो हमें नहीं रहने देता है..उसे हम नहीं रहने देते हैं इसलिए यदि आप हमारा भला चाहते हैं और अपना भला चाहते हों..तो हमें अपने हाल पर छोड़ दें..और यही पेड़ के पास हमें रहने दें..कोई भी इस पेड़ को छेड़ेगा..या फिर हमारी शांति में दखल डालेगा तो वो संकट से घिर जाएगा।
पुजारी ने दोनों को काफी समझाया कि वो इस जगह को छोड़ कर चले जाएं..उन्होंने कहा कि वो बोतल में बंद कर उन्हें किसी पहाड़ी पर..जंगल में हैं..जहां कहेंगे...छोड़ देंगे..लेकिन नौजवान तैयार नहीं हुआ...आखिरकार पुजारी ने दादा जी को कहा कि इन्हें यहीं रहने दो...हां..इस जगह से छेड़छाड़ न करना। पुजारी जी ने दोनों से वायदा लिया कि वो इस जगह पर स्वतंत्र घूम सकते हैं लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और न ही किसी को नजर आएंगे।

इतना कहने के बाद उन दोनों को मुक्त करने के लिए जैसे ही पुजारी ने मंत्रोच्चार शुरू किया..तभी नौजवान ने उन्हें रोक दिया। पुजारी को गुस्सा आया लेकिन नौजवान ने विनती करते हुए कहा कि आप आए हो तो हमारा एक काम और कर जाओ..मुझे जो परेशान कर रहा है..उससे मुक्ति दिला जाओ...
अब पुजारी जी और दादा जी के चौंकने की बारी थी..कहानी में यहां से एक और नया मोड़ आ गया...आखिर इस नौजवान को किससे परेशानी है..कौन इसे परेशान कर रहा है...जब पुजारी ने उससे विस्तार से बताने को कहा..तो नौजवान बोला...इस इलाके में एक और भूत है...और वो इस लड़की को परेशान करता है...ये वही है जो सेठ के पड़ोस में रहता था और इसको पसंद करता था..वो चाहता था कि इस लड़की की शादी उससे हो जाए..पता नहीं..ये कब हमें तलाशते-तलाशते इस इलाके में आ गया...और अब हमारे इर्द-गिर्द घूमता रहता है..उसे काफी समझाया लेकिन मानता नहीं..हम चाहते हैं कि इसे इतनी दूर भेज दो कि कभी यहां न आ पाए।
पुजारी जी को दया आई..बोले..उसका भी इंतजाम करेंगे..बस तुम दोनों को इतना करना है कि उसे इस पेड़ के पास किसी तरह लेकर आ जाओ..मेरी परिधि में अगर वो होगा..तो मैं उससे तुम्हें मुक्ति दिला सकूंगा...
कल आधी रात का वक्त फिर तय हुआ कि पुजारी जी उस भूत को पकड़ेंगे...कल क्या होगा..क्या वो पकड़ में आएगा..कल का इंतजार करिए.....