Friday, September 11, 2015

भूत की कहानी का 71 वां दिन( वो युवक-युवती कौन थे?)

दोनों युवक-युवतियों के सामने आते ही दादा जी की तो हवाईंयां उड़ने लगीं..पुजारी जी चुप..बिलकुल सन्नाटा..चारों तरफ एक पत्ते की सरसराहट तक सुन ले..कुछ पलों के मौन के बाद पुजारी जी ने दोनों को सामने बैठने का इशारा किया...दोनों चुपचाप बैठ गए...अब पुजारी की आंखों में अजीब सी चमक थी..बोले..तुम दोनों कौन हो...दोनों बिलकुल चुपचाप...फिर पुजारी बोले..मैं पूछ रहा हूं कि तुम दोनों कौन हो....अब नौजवान की चुप्पी टूटी...बोला...मैं नहीं बताऊंगा..मुझे मुक्त करो...पुजारी ने फिर कहा..तुम्हें मुक्त कर दिया जाएगा..लेकिन मेरे सवालों के जवाब देने होंगे। काफी देर के बाद नौजवान बोला...मैं इस हवेली के जमींदार का बेटा हूं...और ये मेरी प्रेमिका...इसी गांव के सेठ की लड़की...फिर पुजारी ने सवाल दागा..तुम यहां क्या कर रहे हो...अब नौजवान ने जो बोलना शुरू किया तो सारी कहानी कह डाली...


मेरी उम्र रही होगी कोई 25 साल और इस लड़की की 20 साल..हम दोनों में बेइंतहा प्यार था..ये हमारे जमींदार पिता को बिलकुल पसंद नहीं था..जमींदार पिता ने मेरे लिए पास के दूसरे जमींदार की बेटी का रिश्ता सोच रखा था...पिता ने काफी समझाया कि बेटे..हमारा गांव में रौब है..इज्जत है...शोहरत है..ये लड़की और इसके घरवाले कहीं से भी हमारे बराबर नहीं ठहरते। तुम इस हवेली और जमींदारी के इकलौते वारिस हो...तुम्हें मेरी बात माननी होगी..नहीं तो हमारी इज्जत धूल में मिल जाएगी..हम कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। जब मुझे समझाने के सारे प्रयास विफल हो गए..तो पिता जी ने दूसरा दांव खेला...और सेठ को धमकाना शुरू किया..कि वो अपनी बेटी को समझा लें..नहीं तो गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे...सेठ ने पहले तो हाथ-पैर जोड़े..लेकिन जब वो जान गया कि अब कोई चारा नहीं है तो उसने लड़की को एक कमरे में कैद कर दिया। ये लड़की भी कम जिद्दी नहीं थी..जब कई दिन हो गए..और समझ गई कि अब कुछ नहीं किया जा सकता..तो इस लड़की ने खुदकुशी कर ली...
जैसे ही इस लड़की के जान देने की खबर मुझे मिली..मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई और उसी रात मैंने भी इसी पेड़ के नीचे फांसी लगाकर जान दे दी। तभी से हम दोनों इसी पेड़ के नीचे अपना आशियाने बनाए हुए हैं..इसी हवेली में हम दोनों भटकते रहते हैं...मेरे मरने के बाद पिता जी दिनोंदिन कमजोर होते गए..हम दोनों की छाया से वो मुक्त नहीं हो पाए...उनकी सारी हैसियत घट गई..और एक दिन उनका अंत हो गया। वो अच्छी तरह जानते थे कि इस हवेली और खेत पर हमारा और इस लड़की का साया भटक रहा है...इससे बचने के लिए उन्होंने ये हवेली छोड़ दी। वो तो हवेली छोड़कर चले गए..लेकिन हमारी आत्माएं अब भी भटक रही हैं। हम दोनों अब साथ रह रहे हैं और अब हमें कोई जुदा नहीं कर सकता। इतना कहते-कहते युवक चुप हो गया...और उस लड़की की ओर देखने लगा....आगे क्या हुआ..क्या इन दोनों को मुक्ति मिल गई..पुजारी ने इन दोनों के साथ क्या किया...कल का इंतजार करिए.......