Thursday, September 10, 2015

भूत की कहानी का 70 वां दिन(हवा में लहराते वो दोनों कौन थे?)

 आधी रात हो चुकी थी..पेड़ की पत्तियां सरसरा रही थीं..चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था..कुछ नजर नहीं आ रहा था..लालटेन की रोशनी पेड़ के चारों और फैल चुकी थी..पेड़ के नीचे सारा सामान रखा..पुजारी जी ने आसन बिछाने को कहा..इसके बाद सारी सामग्री खोली गई..और पुजारी ने बैठकर तंत्र-मंत्र के लिए जरूरी विधि-विधान शुरू किए...उन्होंने दादा जी से कह दिया था कि जैसा वो कहें..वैसा ही करना..अपने मन से कोई भी कदम नहीं उठाना..और न ही घबराना...चुपचाप सारा नजारा देखते रहें और जब तक वो न कहें..टस से मस न हों।

रात बढ़ती जा रही थी..पुजारी जी मंत्र पर मंत्र पढ़ते जा रहे थे...तभी हवा का एक लंबा झौंका आया..काफी सारी पत्तियां हवा में उड़ती नजर आने लगीं...लगा कि कोई आ रहा है..लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था..ऐसा कई बार हुआ...एकदम से तेजी से हवा इधर को आती और उसके साथ कुछ आभास होता जैसे किसी को बुलाया जा रहा है...और वो आने वाला है। करीब एक घंटे के मंत्र उच्चारण के बाद पुजारी की आंखें अचानक लाल होने लगी..उनकी आवाज जोर पकड़ने लगी..लगा कि अब पता नहीं क्या होगा...तेज आवाज में मंत्र आसपास गूंजने लगे..और दादा जी घबराहट बढ़ने लगी...
तभी लगा जैसे कोई आवाज आ रही है...ऐसी आवाज जो सुनी हुई है..धीमे-धीमे आती आवाज जब थोड़ी तेज हुई तो समझ में आ गया कि ये तो वही बांसुरी की आवाज है..आवाज अब साफ सुनाई देने लगी थी...इसके साथ ही दूसरी आवाज भी कानों में गूंजने लगी और ये पायल की छम-छम थी..तो क्या ये दोनों आने वाले हैं..क्या इन्हें बुला लिया गया है..मेरी आंखें चारों तरफ घूम रही थीं कि कहीं तो कोई दिखाई दे..लेकिन आवाज तो पास आती लग रही थीं पर कोई नजर नहीं आ रहा था।
पुजारी जी लगातार मंत्रोच्चार करते जा रहे थे..आवाजें बिलकुल पास आ गईं थीं...और तभी देखता हूं कि एक आकृति हवा में बन रही है..ये आकृति बनते देख दादा जी की आंखें चमक उठीं..एक सुंदर सा नौजवान कुर्ता पाजामा में सामने हवा में नजर आ रहा था..और  धीरे-धीरे पुजारी जी के सामने नीचे उतर रहा था...उसके पीछे-पीछे दूसरी आकृति भी दिखाई देने लगी थी...ये वही युवती थी जो घुंघुरु पहने हुए थी..और सुंदर से वस्त्रों में नृत्यांगना की वेशभूषा में नीचे उतर रही थी.
.दादा जी ने बताया कि..जैसे परी लोक की कहानियां सुनते थे..लगभग वैसे ही ये नजारा था...दोनों अगल-बगल में पुजारी के सामने खड़े थे..चेहरे जैसे मुस्कराते हुए..पुजारी जी के चेहरे पर भी मुस्कान फैल चुकी थी और दादा जी ये मंजर देखकर आश्चर्य चकित थे..ये क्या हो रहा है..जीवन में ऐसा देखने की बात तो दूर..कभी किसी ने सुना भी नहीं था..उन पुजारी की शक्ति देखकर भी उन्हें हैरानी थी..वाकई उनमें इतनी ताकत थी..इन दोनों को यहां बुला लिया।
इसके बाद जो कुछ हुआ..होश उड़ा देने वाला था..पुजारी ने आगे क्या किया..इन दोनों ने क्या किया..ये दोनों कौन थे..क्या है इनका रहस्य...कल का इंतजार करिए......