Monday, March 30, 2015

भूत की कहानी का 22 वां दिन (मेरी और लड़की की हत्या हुई थी?)

सुबह हुई तो स्कूल के लिए रवाना हुआ..रोज की तरह लड़की भी हवेली के बाहर स्कूल की ड्रेस पहने बस्ता टांगे साथ चल रही थी...स्कूल पहुंचे तो मैं अपने स्थान पर बैठ गया..बगल में जो दूसरी लड़की बैठी हुई थी..वो उसमें दाखिल हो चुकी थी..कभी वो लड़की दिखती तो कभी दूसरी...मैं भी धीरे-धीरे आदी होता जा रहा था...मास्टर जी ने पढ़ाना शुरू किया...सबसे होशियार बच्चा मैं ही था क्लास में...और दूसरा वो लड़की..जो मेरे बगल में बैठती थी...जैसे ही मास्टर साहब ने मैथमेटिक्स के कुछ जोड़-घटाने दिए और थोड़ी देर बाद जवाब पूछने शुरू किए तो देखता हूं..कि बगल में बैठी लड़की दनादन जवाब दिए जा रही है...मैं मुस्करा रहा था कि वो लड़की नहीं..दरअसल मेरी पत्नी का भूत बोल रहा है..जवाब इतने आगे तक निकल गए..जहां तक मास्टरजी ने पढ़ाया भी नहीं था...स्कूल छूटने को हुआ तो देखा कि मेरी एक किताब स्कूल बैग से गायब है..मैं हैरान-परेशान..इधर-उधर पूछ ही रहा था कि मेरी बगल वाली लड़की..यानि भूत की आवाज आई..वो आपके पीछे जो लड़का था..उसके बैग में है..मैंने उस लड़के को पकड़ा..तो बोला कि नहीं मैने नहीं ली..लेकिन जब उसके बैग में जबरन तलाशी ली तो किताब निकल आई..लड़का अब माफी मांगने लगा..बोला-गलती से चली गई होगी...साथ में उसे ताज्जुब भी हुआ कि मुझे कैसे पता चल गया।


खैर..स्कूल से निकले..तो मैने लड़की से पूछा कि किताब के बारे में कैसे पता चला तो बोली..मैं सारे बच्चों की बैग में देख रही थी..आप नहीं समझोगे..ये हमारे पास ही ताकत है...अब मैं अपने मुद्दे पर आ चुका था कि तुम वाकई मेरी पत्नी हो..तो जवाब मिला..आपको यदि यकीन नहीं..तो मैं सारा किस्सा सुनाती हूं...ये करीब दस साल पहले की बात है...हमारी शादी को एक साल हुए थे...और हम दोनों की हत्या हो गई थी...आप तो इसी हवेली में रहते थे...मैं कौन था... उससे पूछा तो उसने खुलासा किया..आपके जो दादा जी हैं..आप उनके भाई के बेटे थे...और मैं शादी होकर इस हवेली में आई थी...मैं पास के ही जमींदार की बेटी थी...आपको कभी वहां ले चलूंगी...एक रात इस हवेली में हम दोनों अकेले थे..तो रात को डकैत घुसे..लाखों की नकदी..जेवरात और सामान लेकर गए थे...और विरोध करने पर हम दोनों की हत्या कर गए थे...इसके बाद मेरी आत्मा भटकती रही...मैं इसी हवेली के आसपास..एक साल तक भूत बनकर घूमती रही..मुझे आपकी तलाश थी...जब आप नहीं मिले..तो मैं भूतों की बस्ती..यानि पुराने किले में पहुंच गई..जहां दूसरे भूतों के साथ रहने लगी...भूतों की बस्ती के भी कायदे-कानून है..वो मैं बाद में विस्तार से बताऊंगी..आपका मुझे नहीं मालूम कि आप कहां गए...तलाश करते-करते..दूसरे भूतों से पूछते-पूछते मुझे सुराग मिला कि आपने फिर इस हवेली में जन्म लिया है...और जैसे ही आपकी मैने शिनाख्त की..मैं आपके पीछे पड़ गई...

मैंने पूछा कि मुझे तुमने पहचाना कैसे..तो बोली...तुम्हारे बायीं आंख पर चोट का निशान है..जो पिछले जन्म भी था..और बताऊं तुम्हारी बाएं हाथ में दो काले तिल हैं..एक तो हथेली और कोहनी के बीच में..और दूसरा कोहनी से ऊपर कंधे से नीचे...मैंने जैसे ही बाएं हाथ पर नजर डाली..मैं चौंक गया..कभी मैने भी गौर नहीं किया था कि मुझे बाएं हाथ में दो तिल के निशान है...लड़की यहीं नहीं रुकी..बोली और बताऊं..चलो बाद में बताऊंगी..आपके शरीर पर कहां-कहां क्या निशान हैं..सब पता है...कभी भी आजमा लेना...अब मुझे उस पर भरोसा होने लगा था..बात करते-करते हवेली तक पहुंच चुका था...लड़की गेट से ही गायब हो चुकी थी..मैं हवेली में दाखिल हुआ तो देखा कि वो सांप तो रेंग रहा है..जो उसके साथ चलता है...लेकिन लड़की नजर नहीं आ रही..चारों तरफ नजर डाली तो देखा कि छत पर एक चिड़िया चहचहा रही है..समझ चुका था कि लड़की ऊपर छत पर पहुंच चुकी है....वो सांप कौन है...और भूतों की बस्ती में क्या-क्या होता है..लड़की आगे और क्या रहस्य बताएगी..कल का इंतजार करिए......ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com