Wednesday, July 22, 2015

भूत की कहानी का 28 वां दिन (भूतिया किले में ये कैसा विस्फोट था?)

भूतों के सरदार के सामने मैं बौना जैसा लग रहा था, कोई कितना लंबा, कोई कितना मोटा, कोई लंबी पूछ वाला, तो कोई बडे़ मुंह वाला, सबके सब अजीबोगरीब, मैं मन ही मन कह रहा था कि जीवन की सबसे बड़ी गलती आज हो गई, इस लड़की से दोस्ती के चक्कर में कहां फंस गया।


सरदार ने जोर से सांस ली तो लगा कि मैं उड़ जाऊंगा, अगर जोर से हवा अंदर भरेगा तो सीधे उसके पेट में ही चला जाऊंगा, अजगर के बारे में सुना था कि सीधे निगल लेता है ये तो अजगर से भी भयानक है, पूरे के पूरे आदमी को पेट में समा ले, एक नहीं दो-तीन तो आसानी से इसके पेट में घुस जाएंगे और पता नहीं कितने इसके पेट में हों भी, तभी अचानक भूतों के सिरमौर ने अपनी मुंडी उन पहरेदारों के सामने हिलाई तो देखते ही देखते सारी भीड़ छंटने लगी, तमाम लंबे-मोटे-छोटे सांप इधर-उधर सरकते हुए गायब होने लगे, लंबी-लंबी पूंछे देखते ही देखते नदारद होने लगी, तो कुछ उल्लू और चमगादड़ टाइप पशु-पक्षी भी हवा में लहराते हुए कहां गए, पता ही नहीं चला, भूतों की दुनिया का
एक अंदाज ये भी देख लिया। थोड़ी देर में मैदान सफाचट, केवल दोनों पहरेदार, भूतों का सरदार और मैं, तभी सरदार ने फिर इशारा किया तो दोनों पहरेदार थोड़ी सी दूर पर जाकर खड़े हो गए, तभी देखता हूं कि हवा में लहराती हुई चिड़िया आई और जैसे ही जमीन पर उतरी, वही लड़की, सामने मुस्कराते हुए नजर आने लगी।

सरदार भी मुस्कराया, पहली बार लगा कि ये दैत्याकार भी दिल रखता है, नहीं तो उससे अनिष्ट की ही आशंका ज्यादा लग रही थी, मेरी थोड़ी सी जान में जान आई। भूतों के सरदार ने फिर हवा में हाथ लहराया, देखा कि मंच पर बेहतरीन,आलीशान सोफासेट जैसा लग गया, भूतों का सरदार अपनी विशाल कुर्सी पर विराजमान हुआ, मुझे सोफासेट पर बैठने का इशारा किया, लड़की भी मेरे बगल में आकर बैठ गई।

फिर हवा में हाथ लहराया, तो देखा तमाम तरह के फलों की टोकरियां सज गईं हैं। आलीशान जग और गिलास में शरबत का इंतजाम हो चुका है। अब लगा कि नहीं मैंने यहां आकर गलत नहीं किया, यहां एक दुनिया पहले देखी, दूसरी दुनिया तो बड़ी ही अदभुत है। फिर इशारा हुआ, जलपान के लिए, जैसे ही मैंने गिलास उठाने के लिए हाथ उठाया तो देखा कि गिलास हवा में उड़ रहा है, मैं ऊपर गिलास को देख रहा हूं, गिलास लगातार ऊपर चला जा रहा है, घबराकर मैंने सिर नीचे किया और लड़की की ओर देखा तो मुस्करा रही थी और भूतों का सरदार भी दांत निकाल रहा था। भयानक खोपड़ी इधर से उधर हिल रही थी, तभी गिलास फिर नीचे आया और टेबल पर जम गया। अबकी बार लड़की ने गिलास उठाया और मुझे थमा दिया।
यहां तक तो गनीमत थी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आज भूतों का सरदार मेरा क्या हश्र करेगा, क्या भूतनी यानि लड़की से संबंध रखने की आज सजा मिलने वाली है, क्या मैं भी भूत बनने वाला हूं, क्या मैं यहीं कैद रह जाऊंगा, मेरी दादी क्या सोच रही होंगी, वक्त कितना हो चला है, यहां तो कुछ भी पता नहीं चल रहा है, ये सब सोच ही रहा था कि अचानक जोर की आवाज से मेरा बेहोश हो गया, ये विस्फोट कैसा था, उसके बाद भूतों के किले में क्या हुआ, कल का इंतजार करिए...ये भी पढ़िए...amitabhshri.blogspot.com   whatsappup.blogspot.com