Thursday, August 13, 2015

भूत की कहानी का 48 वां दिन( बस में सवार भूत का बवाल )

बस में पिता जी के साथ सवार हुआ..तो वो युवक यानि भूत कैसे जाएगा? मैं सोच ही रहा था कि देखता हूं कि बस रुकी हुई है और सवारियों में अफरातफरी मची हुई है..पिता जी ने पूछा तो पता चला कि एक सांप इधर से उधर घूम रहा है..पहले वो भीतर सीटों पर नजर आ रहा था और अब ड्राइवर के आगे की विंडो पर दिख रहा है..कभी गायब हो जाता है तो कभी दिखने लगता है...ड्राइवर और क्लीनर के साथ कई लोगों ने ऊपर से नीचे छान मारा..और जब उन्हें ये तय हो गया कि सांप कहीं भी नहीं है..चला गया तो बस चलना शुरू हुई लेकिन मैं भीतर ही भीतर दुखी था कि बस तो चली जाएगी लेकिन सांप के रूप में जो युवक भूत घूम रहा है वो नीचे ही छूट जाएगा..लेकिन मैं जानता था कि वो पहुंचेगा तो लेकिन कब तक और कैसे..ये सवाल मेरे दिमाग में घुमड़ रहे थे।

बस कस्बे से बाहर निकल चुकी थी और मैं मायूस था..एक तो परिवार छोड़कर जा रहा था..दूसरे वो सांप कहां गया..मेरी समझ में नहीं आ रहा था..तभी देखता हूं कि पीछे की सवारियों में फिर हलचल हुई..किसी को फिर वहीं सांप दिखा था..अब मुझे थोड़ी राहत मिली..कि हो न हो ये बस में ही है..लोग सीटों के नीचे उसे तलाश रहे थे तो लोग मारने के लिए डंडे की तलाश में थे...तभी मुझे पैर के नीचे कुछ गुदगुदाहट सी हुई..देखा तो वहीं सांप मेरे पैर के नीचे कुंडली मार के बैठा हुआ है..खैर कई घंटों का सफर था...सांप सीट के नीचे चुपचाप बैठा रहा..तभी एक जगह बस रुकी..कुछ खाने-पीने के लिए लोग नीचे उतरे..तो देखता हूं कि वो सांप भी नीचे उतर रहा है..जैसे ही किसी ने देखा तो फिर हड़कंप मच गया..अरे भाई ये सांप तो बस में ही था..वहीं से चला आ रहा है..लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। बस रुकी रही और सांप को लोग दूर तक भगाते हुए लौट आए..

बस चली तो फिर मुझे लगा कि उसे तो लोग भगा आए..अब फिर ये कैसे पहुंचेगा...तभी देखता हूं कि फिर सांप  का मुंह ड्राइवर के विंडो के आगे नजर आ रहा था..जैसे ही ड्राइवर ने देखा..बस चलाना मुश्किल..जैसे-तैसे करते हम और बाकी सवारियां वापस गांव बानपुर पहुंच गए...पिता जी के साथ हवेली चला तो वही सांप हमारे पीछे-पीछे हवेली की ओर आ गया। शाम हो चुकी थी...सांप कहां गया..मुझे नहीं मालूम था..मैं अपनी चारपाई पर थक कर लेटा हुआ था और पिता जी भी..तभी देखता हूं कि ऊपर कोई परछाई से धुंधली-धुंधली सी नजर आ रही है..और हवेली में कभी इधर तो कभी उधर दिख रही है...
थोड़ी ही देर में काली परछाई हमारी चारपाई के पास नजर आने लगी...और फिर दूर हटने लगी...मैं समझ रहा था कि वो परछाई उसी भूत की है..मैं आगे बढ़ता गया और जैसे ही दरवाजे तक पहुंचा तो देखा कि वही लड़की मुस्करा रही है..यहां मैं मात खा गया..ये लड़की तो आ गई..वो सांप मतलब भूत कहां गया..तभी देखता हूं कि पास में ही वो भी रेंग रहा है...और अचानक युवक के रूप में खड़ा हो गया...मैंने उस लड़की से मुलाकात कराई और उसे भूतिया किले में ले जाने के लिए कहा...वो युवक जब भूतिया किला पहुंचा तो क्या हुआ..कल का इंतजार करिए.......
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