Monday, September 7, 2015

भूत की कहानी का 67 वां दिन(नृत्य करती खूबसूरत युवती कौन थी?)

बरसात का मौसम चल रहा था...शाम का वक्त था..ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी...तभी आसमान में अचानक काले बादल गहरा गए...रिमझिम बारिश होने लगी..दादी और दादी कुएं पर थे...तेजी से घर की ओर लौटने लगे..देखते हैं कि पायल की झनकार फिर सुनाई दे रही है..हल्की-हल्की पायल छनकती हुई...और उसके साथ ही बांसुरी से मधुर संगीत...ऐसे वक्त तो आनंद आना चाहिए..लेकिन दादी बताने लगी..हम दोनों की हालत खराब...आखिर कौन हैं ये..और कहां से आ रही है ये आवाजें...दादा जी ने हिम्मत जुटाई और बोले..चलते हैं..ये आवाज उसी पेड़ के पास से आ रही है..हम दोनों भीगते-भीगते खेत की मेड़ के सहारे पेड़ की ओर चल पड़े..
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जैसे ही आधे रास्ते में पहुंचे...तो देखा कि नीचे कोई युवती नृत्य कर रही है..बारिश में भीगते हुए..पेड़ के नीचे..और पेड़ पर बैठा एक नौजवान बांसुरी बजा रहा है..दूर से आंखें फाड़ने पर भी साफ-साफ नजर नहीं आ रहा था..लेकिन सफेद वस्त्रों में जैसे वो लड़की थी..और बाल हवा में लहरा रहे थे..पेड़ पर बैठा नौजवान तो और भी कम नजर आ रहा था..मन में घबराहट थी..लेकिन एक-दूसरे का हाथ थामे..हम लोग उस पेड़ के नीचे जा पहुंचे..जैसे ही वहां पहुंचे..तो देखते हैं कि न तो अब आवाज है..न वो युवती है और न ही वो युवक...कोई नहीं...किसी चीज का नामोनिशान नहीं...आसपास चारों तरफ नजर डाली लेकिन कोई नजर नहीं आया...हां ये जरूर देखा कि पेड़ के नीचे कुछ सफेद फूल बिखरे हुए हैं..ये फूल किसके थे..समझ में नहीं आया..लेकिन मन को आभास जरूर हो रहा था कि कोई न कोई तो था यहां..किसी की मौजूदगी महसूस हो रही थी..कुछ सुगंध सी आ रही थी। काफी देर इंतजार करने और खोजबीन के बाद हम लोग हवेली की ओर लौटने लगे..

कुछ ही दूर गए थे..कि आवाज सुनकर हमारे रौंगटे खड़े हो गए..फिर से वही आवाज गूंजने लगी..मुड़ कर देखा तो फिर वही युवती पेड़ के नीचे नृत्य करती लग रही थी और युवक पेड़ पर बैठा बांसुरी बजा रहा था..अब तो हमारी हिम्मत जवाब दे चुकी थी..तेज कदमों से हम लोग हवेली लौटे..बड़ी देर तक वो युवक और युवती मन में घुमड़ते रहे..वो आवाज कानों में गूंजती रही..और पेड़ के नीचे बिखरे फूलों की सुगंध भीतर बनी रही।
अब तो दादा जी को पक्का विश्वास हो चला था कि कोई तो है..जो हवेली के इर्द-गिर्द घूम रहा है..एक बार फिर दादा जी ने गांव के कई प्रमुख लोगों से चर्चा की और उन्हें साथ लेकर फिर उन्हीं पुजारी के पास रवाना हुए..जो पहाड़ी के ऊपर रहते हैं..इस बार क्या पुजारी आएंगे...क्या उन युवक-युवती के रहस्य का खु
लासा होगा..कौन थे वे दोनों..या फिर कोई और भी है..हवेली के आसपास...कल का इंतजार करिए.....

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